उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने भूमि पैमाइश के मामलों में लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों पर सख्त कार्रवाई करते हुए एक IAS और तीन PCS अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इन अधिकारियों पर लखीमपुर खीरी में तैनाती के दौरान पैमाइश से जुड़े मामलों में ढिलाई बरतने और घूस लेने का आरोप था। मामले की उच्चस्तरीय जांच और रिपोर्ट के बाद इन अधिकारियों को राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है।
इस कार्रवाई में जिन अधिकारियों पर गाज गिरी, उनमें शामिल हैं:
IAS घनश्याम सिंह, अपर आयुक्त लखनऊ मंडल
PCS अरुण कुमार सिंह, ADM (FR), बाराबंकी
PCS विधेश सिंह, नगर मजिस्ट्रेट, झांसी
PCS रेणु, SDM, बुलन्दशहर
PCS अरुण कुमार सिंह, ADM (FR), बाराबंकी
PCS विधेश सिंह, नगर मजिस्ट्रेट, झांसी
PCS रेणु, SDM, बुलन्दशहर
इस घटना का कारण तब सामने आया जब लखीमपुर खीरी से सदर भाजपा विधायक योगेश वर्मा का 24 अक्तूबर को एक वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में विधायक स्कूटी पर बैठकर कलक्ट्रेट परिसर पहुंचे और बीच सड़क पर SDM और कानूनगो से जुड़े मामलों में भ्रष्टाचार की शिकायत करते नजर आए। विधायक ने बताया कि एक सेवानिवृत्त शिक्षक विश्वेश्वर दयाल की भूमि पैमाइश के लिए अधिकारियों द्वारा 5,000 रुपये घूस के रूप में लिए गए। विधायक ने इसे न केवल भ्रष्टाचार का मामला बताया, बल्कि घूस की रकम वापस करने की भी मांग की।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद, राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल उच्च स्तर पर जांच के आदेश दिए। IAS देवराज एम, प्रमुख सचिव नियुक्ति ने लखीमपुर खीरी की डीएम IAS दुर्गा शक्ति नागपाल से रिपोर्ट मांगी। इस रिपोर्ट में उन अधिकारियों के नाम और कार्यकाल का विवरण मांगा गया जिन्होंने 2019 के बाद लखीमपुर खीरी में एसडीएम, तहसीलदार, और नायब तहसीलदार के रूप में सेवा की। जांच रिपोर्ट में चारों अधिकारियों को लापरवाही और भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया।
योगी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस तरह की सख्त कार्रवाइयों से प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार और पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके साथ ही कई अन्य अधिकारियों पर भी कार्यवाही की तलवार लटक रही है, जिससे प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी।