उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 में शामिल हुए छात्रों और उनके अभिभावकों को एक अहम अलर्ट जारी किया है। परिषद के मुताबिक, कुछ साइबर ठग खुद को बोर्ड अधिकारी बताकर परीक्षार्थियों को अंक बढ़ाने या फेल से पास कराने का लालच दे रहे हैं। इसके बदले में वे पैसों की मांग कर ठगी की कोशिश कर रहे हैं। 

यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार की घटनाएं सामने आई हैं। पिछले वर्षों में भी इंटरनेट और मोबाइल के जरिए साइबर धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें छात्रों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी निशाना बनाया गया। यूपी बोर्ड ने इस बार साफ तौर पर निर्देश जारी किया है कि ऐसे किसी भी कॉल या संदेश का न तो भरोसा करें और न ही कोई भुगतान करें।

कैसे करते हैं साइबर ठग हमला? जानिए उनकी चालाकी

  • इन साइबर ठगों की कार्यशैली बेहद शातिर होती है। वे छात्र या अभिभावक को कॉल कर खुद को “बोर्ड का अधिकारी” या “सिस्टम ऑपरेटर” बताते हैं। फिर कहते हैं कि अगर कुछ पैसे दिए जाएं तो छात्र को:
  • फेल से पास कर दिया जाएगा
    कम अंकों को बढ़ा दिया जाएगा
    बोर्ड सिस्टम में नाम, अंक या विषय बदल दिया जाएगा
    कुछ मामलों में तो छात्रों की पूरी मार्कशीट या “फर्जी पास सर्टिफिकेट” तक बनाने की बात कही गई है।

अभिभावकों को बनाया जा रहा है मुख्य निशाना

ठग यह जानते हैं कि परीक्षा का तनाव छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों पर भी गहरा असर डालता है। ऐसे में वे भावनात्मक रूप से कमजोर पड़ चुके अभिभावकों को फंसाने की कोशिश करते हैं। कई बार वे कहते हैं कि “बस ₹5,000–10,000 में सब सेट कर देंगे”, जिससे अभिभावक फंस जाते हैं। UPMSP के अधिकारियों के अनुसार ऐसे कॉल्स में अक्सर डराया भी जाता है, जैसे  “अगर आपने अभी पेमेंट नहीं किया तो आपका बच्चा फेल हो जाएगा” या “नाम रिजल्ट से हटा दिया जाएगा।”

UP बोर्ड का साफ संदेश: सतर्क रहें, ठगों की बातों में न आएं

बोर्ड ने साफ तौर पर कहा है कि: “UPMSP किसी भी प्रकार से छात्रों के रिजल्ट में बदलाव नहीं करता, और न ही इस संबंध में कोई शुल्क लेता है। बोर्ड का सारा कार्य पूर्ण पारदर्शिता के साथ होता है।” छात्रों या अभिभावकों से यदि कोई व्यक्ति फोन पर पैसों की मांग करे या झूठा दावा करे तो तुरंत जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) को इसकी सूचना दें। साथ ही, पुलिस में साइबर क्राइम की शिकायत दर्ज कराएं।

 

2023 में प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में ऐसे 30 से ज्यादा साइबर ठगी के मामले दर्ज हुए थे। कुछ मामलों में अपराधी ट्रेस भी किए गए, लेकिन कई मामलों में पैसा वापस नहीं मिला। बोर्ड ने बताया कि कुछ अभिभावकों ने डर के मारे पेमेंट तो कर दिया, लेकिन बाद में पछतावा हुआ कि न तो नंबर बदले, न ही कोई फायदा मिला।

 

कैसे पहचानें फर्जी कॉल या मैसेज

  • कॉलर जल्दबाजी में निर्णय लेने का दबाव डाले।
  • कोई भी ऐसा व्यक्ति जो खुद को “बोर्ड कर्मचारी” कहे और पैसे मांगे।
  • व्हाट्सएप या एसएमएस पर “मार्क्स एडजस्टमेंट” का ऑफर भेजे।
  • कॉलर बोले कि वह “बोर्ड से लिंक” में है — बिना किसी प्रमाण के।
  • ऑनलाइन पेमेंट या QR कोड भेजकर भुगतान के लिए कहे।

साइबर सुरक्षा के लिए सुझाव

  • किसी अनजान नंबर से आए कॉल्स पर निजी जानकारी न दें।
    बोर्ड या स्कूल से कोई ऑफिशियल सूचना आए बिना कोई निर्णय न लें।
    सोशल मीडिया पर मार्कशीट, रोल नंबर या अन्य निजी जानकारी शेयर न करें।
    साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करें।
  • साइबर क्राइम हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग पोर्टल
    राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: https://cybercrime.gov.in
  • हेल्पलाइन नंबर: 1930
  • UP पुलिस साइबर सेल: https://uppolice.gov.in

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