आपको जानकर हैरानी होगी कि विश्व विख्यात शिक्षण संस्थान देवबंद दारुल उलूम के छात्र ( तलबा ) संस्था से मिलने वाले खाने को बेचते हैं। इतना ही नहीं चोरी से नहर में नहाने के लिए निकल जाते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे। संस्था की गाइडलाइन में ऐसा कहा गया है। दारुल उलूम की ओर से जारी गाइडलाइन में छात्रों को यही हिदायत दी गई है। दारुलू उलूम परिसर में चस्पा किए गए नए निर्देशों में कहा गया है कि अगर छात्रों ने संस्था से मिलने वाले खाने को बेचा तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके साथ ही अगर कोई तलबा यानी छात्र सहारनपुर-मुजफ्फरनगर स्टेट हाइवे पर पड़ने वाली साखन नहर में नहाता हुआ मिला तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
मोहतमिम को मिली है शिकायत
यह हिदायत देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी की ओर से जारी निर्देशों में दी गई है। दरअसल मोहतमिम को शिकायतें मिल रही थी कि छात्र यानी तलबा, संस्था की ओर से मिलने वाले सुबह और शाम के खाने को बेचते हैं। इतना ही नहीं नियमों को तोड़कर चोरी से साखन नहर में नहाने भी जाते हैं। ऐसे में किसी भी तरह की दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इसी को देखते हुए अब मोहतमिम की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।
यह हिदायत देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी की ओर से जारी निर्देशों में दी गई है। दरअसल मोहतमिम को शिकायतें मिल रही थी कि छात्र यानी तलबा, संस्था की ओर से मिलने वाले सुबह और शाम के खाने को बेचते हैं। इतना ही नहीं नियमों को तोड़कर चोरी से साखन नहर में नहाने भी जाते हैं। ऐसे में किसी भी तरह की दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इसी को देखते हुए अब मोहतमिम की ओर से निर्देश जारी किए गए हैं।
संस्था ने कहा खाना मत बेचों ले लो 700 रुपये महीना
देवबंद दारुल उलूम के मोहतमित की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि संस्था की ओर से छात्रों को दो वक्त का खाना इसलिए दिया जाता है ताकि उनका समय बचे। जो समय छात्रों को खाना बनाने में लगेगा उस समय में भी वो पढ़ाई कर सकें। यह भी कहा गया है कि छात्र खाने को बाहर ना बेचें अगर उन्हे खाना नहीं लेना है तो वो मना कर दें। इसके एवज में 700 रुपये महीना संस्था से उन्हे लौटा देगी। यानी दारुल उलूम देवबंद प्रत्येक छात्र से सुबह-शाम के भोजन के लिए 700 रुपये महीना लेता है। अब दारुल उलूम ने कहा है कि अगर भोजन नहीं लेना है तो पैसे वापस लिए जा सकते हैं।
देवबंद दारुल उलूम के मोहतमित की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि संस्था की ओर से छात्रों को दो वक्त का खाना इसलिए दिया जाता है ताकि उनका समय बचे। जो समय छात्रों को खाना बनाने में लगेगा उस समय में भी वो पढ़ाई कर सकें। यह भी कहा गया है कि छात्र खाने को बाहर ना बेचें अगर उन्हे खाना नहीं लेना है तो वो मना कर दें। इसके एवज में 700 रुपये महीना संस्था से उन्हे लौटा देगी। यानी दारुल उलूम देवबंद प्रत्येक छात्र से सुबह-शाम के भोजन के लिए 700 रुपये महीना लेता है। अब दारुल उलूम ने कहा है कि अगर भोजन नहीं लेना है तो पैसे वापस लिए जा सकते हैं।
खाना बेचा तो संस्था से मिलने वाली मदद होगी बंद
निर्देशों में चेतावनी भी दी गई है। कहा गया है कि अगर कोई छात्र खाना बेचते हुए पकड़ा जाता है तो दो माह के लिए उसकी मदद बंद कर की जाएगी। अगर कोई छात्र दूसरी बार खाना बेचते हुए पकड़ा जाता है तो पूरे साल के लिए उसे मिलने वाली मदद रोक दी जाएंगी। इतना ही नहीं संस्था की ओर से नहर पर भी निगरानी कराई जा रही है। अगर कोई भी तलबा नहर में नहाता हुआ मिला तो उस पर भी कार्रवाई होगी।
निर्देशों में चेतावनी भी दी गई है। कहा गया है कि अगर कोई छात्र खाना बेचते हुए पकड़ा जाता है तो दो माह के लिए उसकी मदद बंद कर की जाएगी। अगर कोई छात्र दूसरी बार खाना बेचते हुए पकड़ा जाता है तो पूरे साल के लिए उसे मिलने वाली मदद रोक दी जाएंगी। इतना ही नहीं संस्था की ओर से नहर पर भी निगरानी कराई जा रही है। अगर कोई भी तलबा नहर में नहाता हुआ मिला तो उस पर भी कार्रवाई होगी।