उत्तर प्रदेश के जौनपुर के बदलापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रमेशचंद्र मिश्रा का एक बड़ा बयान वायरल हुआ था, जिसके बाद राजनीति में हलचल मच गई है। अब 24 घंटे में ही भाजपा विधायक अपने इस बयान से पलट गए है। उनका कहना है कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। लेकिन, राजनीतिक गलियारों में इन बयानों के बाद चर्चा तेज हो गई है।

बदलापुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रमेशचंद्र मिश्रा 24 घंटे में अपने बयान से पलट गए है। उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें उन्होंने यूपी में भाजपा की स्थिति के बारे में जिक्र किया था। साथ ही उन्होंने 2027 में होने वाले चुनाव को लेकर बात की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा की हालत बहुत खराब है। इस बयान के 24 घंटे बाद ही वह अपने बयान से पलट गए। उन्होंने कहा कि ”मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर वायरल किया गया है। उन्होंने अपने बयान पर सफाई पेश की है।

बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। बदलापुर विधानसभा सीट पर भी पार्टी को हार मिली थी। अब प्रदेश में उपचुनाव होने वाले है। पार्टी उसके लिए तैयारी कर रही है। इसी बीच अब दो बार के विधायक रमेश मिश्रा का वीडियो सामने आया है। विधायक ने कहा कि केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करके बड़ा निर्णय लेना पड़ेगा, तभी कुछ हो सकेगा। 2027 में सरकार बन सकेगी।  उन्होंने यूपी में केंद्रीय नेतृत्व से दखल देने और बड़ा निर्णय करने की खुली मांग कर दी है। उन्होंने खुद अपना वीडियो बनवाकर जारी किया था।

विधायक रमेश मिश्रा का कहना था कि यूपी में बीजेपी की वर्तमान स्थिति बहुत खराब है। इस स्थिति में 2027 में हमारी हालत और खराब हो जाएगी। आज की तारीख में जो स्थिति है, जिस तरीके से पीडीए की बात चल रही है। समाजवादी पार्टी ने व्यापक भ्रामक स्थिति लोगों में पैदा कर रखी है, उस हिसाब से आज की तारीख में बीजेपी की स्थिति अच्छी नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व से निवेदन है कि हम चाहते हैं, जनता चाहती है और पार्टी का कोर वोटर चाहता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने, इसके लिए आपको बड़ा निर्णय लेना पड़ेगा।

सूत्रों का कहना है कि पार्टी में शीर्ष स्तर पर इस बात पर विचार किया जा रहा है कि कहीं, प्रदेश सरकार को अस्थिर करने का प्रयास तो नहीं है। इसलिए पार्टी की ओर से अपने स्तर से गोपनीय तरीके छानबीन शुरू कर दी गई है कि इसके पीछे कौन है? किसके इशारे पर पार्टी के विधायक अपनी ही सरकार के अच्छे कार्यों के बजाय सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू किए गए ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति की हवा निकालने पर तुले है।

 

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