मैदानी और पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इससे मेरठ में फतेहपुर प्रेम गांव के पास गंगा नदी पर कच्चा तटबंध टूट गया है। मवाना और हस्तिनापुर में गंगा किनारे बसे 15 गांवों में बाढ़ का पानी भर गया है। डीएम और एसएसपी ने इन गांवों का मुआयना किया।
गांवों में अनाउंसमेंट कराकर उनको खाली कराया जा रहा है। राहत, बचाव कार्य के लिए PAC और NDRF-SDRF की टीमें भी लगाई गई हैं। गांवों को खाली कराया जा रहा है। लोगों को नदी की तरफ जाने से मना किया गया है।
गुरुवार शाम करीब 6 बजे मध्यगंगा बिजनौर बैराज के डाउन स्टीम में गेज खतरे के निशान से 0.100 मीटर ऊपर चल रहा है। बैराज से 2,16,418 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इसकी वजह से हस्तिनापुर में गंगा नदी में बना कच्चा तटबंध टूट गया। यहां विभाग का कोई पक्का तटबंध नहीं बनाया गया। जो पानी को रोक सके। गांवों में पानी भर गया। जनता ने खुद एक 6 किमी का कारसेवा बंध तैयार किया है। जो मानक के अनुसार भी नहीं बना है।
बाढ़ की चपेट में हरिपुर, चामरोद, भागुपुर, कुन्हेडा शेरपुरा, हंसापुर, परसापुर, शिरजेपुर दबखेड़ी, बहबलपुर, गोकलपुर, रुपडा, राठोरा कला, हादीपुर गावड़ी, बामनोली, लतीफपुर, रुस्तमपुर भीकुंड, किशनपुर खादर, बहबलपुर गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। गांवों में बचाव, राहत कार्य जारी है। यहां रहने वाले लोगों को निकालकर ऊंची जगह पर शिफ्ट किया जा रहा है।
हस्तिनापुर का यह पूरा इलाका भाजपा नेता और उप्र सरकार में बाढ़ सिंचाई एवं जल संसाधन के राज्यमंत्री दिनेश खटीक का विधानसभा क्षेत्र है। गंगा पर कच्चा तटबंध बना होने के कारण वो पानी का बहाव सह नहीं सका और कटान शुरू हो गया।प्रशासन ने हस्तिनापुर में 6 बाढ़ चौकियां बना दी हैं। सभी को अलर्ट मोड पर रखा गया है। एक बाढ़ राहत कंट्रोल रूम बनाया गया है। जो 24 घंटे चल रहा है। इस कंट्रोल रूम में कोई भी व्यक्ति बाढ़ संबंधी जानकारी या सूचना दे सकता है। कंट्रोल रुम का नंबर 01233-280294 और 9454449554 है। क्षेत्र में लोगों को बचाने और राहत कार्य के लिए नावें भी लगाई गई हैं।
निजी नाविकों से भी प्रशासन ने समन्वय किया है। ताकि जरूरत पड़ने पर उनको प्रयोग कर सकें। 12 शेल्टर होम भी चिह्नित किए गए हैं। पशुओं के लिए भी आश्रय स्थल व चारे की व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने गोताखोरों को भी अलर्ट मोड पर रखा है। ताकि किसी प्रकार के हालात में काबू पाया जा सके।
गांवों में पानी भरने से लोगों को नुकसान हुआ वहीं फसलों, खेतों को हर साल भारी नुकसान होता है। इसका बड़ा कारण यहां गंगा पर स्थायी पक्का तटबंध न होना है। विभाग द्वारा यहां पक्का तटबंध नहीं बना है जो पानी को थाम सके। ग्रामीण किसी तरह अपने अनुसार जुगाड़ से यहां कच्चा तटबंध बना लेते हैं। जो पानी बढ़ते ही बह जाता है। गांवों डूब जाते हैं। इस बार भी यही हुआ है।
डीएम दीपक मीणा के अनुसार गांवों में बाढ़ से बचाव के सारे इंतजाम किए गए हैं। किसी प्रकार की जनहानि, मालहानि नहीं हैं। हस्तिनापुर में तटबंध बनाने के प्रोजेक्ट को शासन से स्वीकृति मिल चुकी है। बरसात बाद उस पर काम शुरू होगा।