इसे बदलती राजनीति का आगाज कहा जाए या सियासी तानाबाना। विधानसभा और लोकसभा में एक भी मुस्लिम को टिकट न देने वाली भाजपा जहां इस बार मुस्लिमों पर फोकस कर रही है तो वहीं सपा और बसपा के बीच भी रस्साकसी तेज हो गई है। फोकस मुस्लिम वोटरों पर है। नगर निकाय चुनाव में इस बार भी मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने के लिए सभी मुख्य दल जोर लगा रहे हैं।
समीकरण बनाने के लिए दल अपनी नीतियों में बदलाव तक करने को तैयार हैं। बावजूद इसके सवाल वही है कि मुस्लिम किस ओर जाएगा। क्या मुस्लिम भाजपा में भी भरोसा दिखाएंगे। शहरी निकाय चुनाव को लेकर मैदान तैयार होने लगा है। सभी निकायों में दलों ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी है तो वहीं भावी प्रत्याशियों ने भी सियासी बिसात पर चालें चलनी शुरू कर दी है।
सबसे पहले जद्दोजहद टिकट हासिल करने की है। जहां दावेदारों ने इसके लिए ताल ठोकनी शुरू कर दी है तो वहीं राजनीतिक दलों ने भी गुणा भाग शुरू कर दिया है। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे इस चुनाव में इस बार कई चौंकाने वाले कदम पार्टिंयां उठाने जा रही है।
इस बार भी सभी दलों का फोकस मुस्लिमों पर है। चूंकि प्रदेश में लगभग दो दर्जन जिले ऐसे हैं जो जिनमें मुस्लिमों की खासी संख्या है। ऐसे में ये किसी भी चुनाव का परिणाम बदल सकते हैं। यही कारण है कि सभी दल मुस्लिमों के रुख को भांपने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे हैं।