उत्तर प्रदेश में इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम मुफ्ती राशिद आजमी ने मंगलवार को कहा कि देश की आजादी में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने अहम भूमिका निभाई है, इसलिए मुसलमानों के बगैर देश की आजादी का इतिहास नहीं लिखा जा सकता है।
बता दें कि सहारनपुर जिले के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद में आज 77 वां स्वतंत्रता दिवस उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर अपने संबोधन में आजमी ने कहा, ‘‘सभी को यह बात याद रखनी चाहिए कि आजादी का जो सपना साकार हुआ है वह साझा कुर्बानियों और मेहनत का नतीजा है।” इस अवसर पर देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम (प्रबंधक) मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा, ”देश की आजादी के लिए हमारे बुजुर्गों ने जो कुर्बानी दी है, उसे हम सबको याद रखना चाहिए। यह आजादी हमें बहुत मेहनत और कुर्बानियों के बाद मिली है, इसलिए सभी को इस आजादी की कद्र करनी चाहिए।” अंग्रेजों ने इस देश में बहुत जुल्म किया था, लेकिन हमारे बुजुर्गों ने कभी जुल्म को बर्दाश्त नहीं किया और वे अंग्रेजों के सामने अपना सीना तान कर खडे हो गए।
मौलाना ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद इस देश की आजादी की मुख्य कड़ी है, जिसकी स्थापना का मकसद ही देश की आजादी था। इस दौरान दारुल उलूम में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्रगान गाया गया। दारुल उलूम देवबंद के विभिन्न विभागों के शिक्षक और छात्र इस आयोजन में शामिल रहे। मौलाना नोमानी ने कहा कि आज भारतीय इतिहास का यादगार दिन है जिसे धूमधाम से मनाया जाना चाहिए । स्वतंत्रता दिवस की 77 वीं वर्षगांठ पर दारुल उलूम देवबंद के साथ-साथ पूरे जिले के सरकारी, गैर सरकारी, प्रतिष्ठानों पर तिरंगा लहराता नजर आया। सड़कों, चौराहों भवनों सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास से मनाया।