पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून 2025 के विरोध में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जांच के लिए कोलकाता हाई कोर्ट द्वारा गठित जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जिसमें स्थानीय नेताओं और पुलिस की निष्क्रियता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
हिंसा में हिंदुओं को निशाना बनाया गया
कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले महीने बंगाल के मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में राज्य के सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस का एक नेता शामिल था। हमलों का निर्देश स्थानीय पार्षद महबूब आलम ने दिया था। स्थानीय पुलिस पूरी तरह से निष्क्रिय और अनुपस्थित थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंसा में हिंदुओं को निशाना बनाया गया और जब परेशान लोगों ने मदद के लिए पुकारा, तो पुलिस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। रिपोर्ट हाई कोर्ट की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गई है। समिति के सदस्यों ने गांवों का दौरा किया और हिंसा के पीडि़तों से बात की। जांच दल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और न्यायिक सेवाओं के सदस्य शामिल थे। बता दें कि हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि अनेक लोग घायल हो गए थे।
रिपोर्ट में अंधाधुंध आगजनी और लूटपाट तथा दुकानों को लगातार नष्ट करने की बात भी उजागर की गई है। मुख्य हमला शुक्रवार, 11 अप्रैल को दोपहर 2.30 बजे के बाद हुआ, जब स्थानीय पार्षद महबूब आलम उपद्रवियों के साथ आया। उपद्रवी चेहरा ढककर आए थे। स्थानीय नेता अमीरुल इस्लाम ने देखा कि किन घरों पर हमला नहीं हुआ है और फिर हमलावरों ने उन्हें आग लगा दी। हमलावरों ने पानी का कनेक्शन काट दिया था, इसलिए आग नहीं बुझाई जा सकी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बेटबोना गांव में 113 घर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
12 अप्रैल को एक हिंदू परिवार के व्यक्ति और उसके बेटे की उनके मुस्लिम पड़ोसियों ने हत्या कर दी। इसके बाद हुई हिंसा ने इलाके की दुकानों और बाजारों को तहस-नहस कर दिया। किराने की दुकानें, हार्डवेयर की दुकानें, बिजली और कपड़ा की दुकानें नष्ट कर दी गईं। घोषपाड़ा में 29 दुकानें नष्ट कर दी गईं हुईं। मंदिर भी नष्ट कर दिए गए। यह सब स्थानीय पुलिस स्टेशन के 300 मीटर के दायरे में हुआ।