मुजफ्फरनगर। जनपद में स्थित न्यायालय ने गुरुवार को पुलिस पर हमले के एक मामले में 36 अभियुक्तों को 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाते हुए 20-20 हजार रुपए के अर्थ दंड से दंडित किया है।

दरअसल वर्ष 2003 में सिविल लाइन थाना क्षेत्र के महमूद नगर में जाकिर सभासद और उस्मान प्रधान पक्ष के बीच एक झगड़ा हुआ था। जिसे रोकने के लिए तत्कालीन एसपी सिटी अरुण कुमार गुप्ता, सीओ सिटी दिनेश सिंह और सिविल लाइन थाना अध्यक्ष बलजीत सिंह पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे थे। जिन पर दोनों पक्षों ने मिलकर हमला बोल दिया था इस मामले में मौके पर पहुंचे आलाधिकारियों सहित कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। जिसके चलते उस दौरान पुलिस द्वारा इस मामले में कुल 62 लोगों को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज किया गया था।

इस झगड़े ने बहुत विकराल रूप ले लिया था एवं फोर्स भी मौके पर पहुंची थी एवं छोटे बच्चे भी इस परिवार में अंदर बंद हो गए थे। वही उस घर को आग लगाने का पूरा प्रयास था और पुलिस फोर्स ने मौके पर पहुंचकर उन सभी की जान बचाई थी तो इसी प्रयास में मौजूद भीड़ ने पुलिस के ऊपर पथराव व जानलेवा हमला किया था और उसमें  पुलिस के आलाअधिकारी गंभीर रूप से घायल हुए थे एवं यह मामला थाना सिविल लाइन पर पंजीकृत कराया गया था।
इस मामले में 20 साल बाद आज मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित कोर्ट नंबर 7 ने 36 आरोपियों को 10,10 साल के कारावास की सज़ा सुनाते हुए 20,20 हज़ार रुपये के आर्थिक दंड से दंडित भी किया है। अदालत ने जिन लोगो को इस मामले में सजा सुनाई है उनमे इंतजार, इस्लाम,यूनुस, सलीम, नौशाद पुत्र सगीर अहमद, आस मोहम्मद, नफीस पुत्र अयूब, नफीस पुत्र समेदिन, मोहम्मद शमीम, शकील, मोहम्मद अनीस,सलीम जावेद, मोहम्मद सलीम पुत्र अली जान, इरफान, मोहम्मद मुस्तकीम, इमरान, आलम, गयूर, अनीस अहमद,नौशाद पुत्र निजामुद्दीन, जीशान, अब्दुल कादिर,राशिद,शहजाद पुत्र कल्लू,नूर मौहम्मद,मौ माजिद,शहजाद पुत्र सलीम, मुकीम,फखरुद्दीन,आबिद,अख्तर,नजमू, अहसान,मोबिन,नसीम पुत्र मूसा और मौ आरिफ शामिल है।

शासकीय अधिवक्ता राजीव शर्मा ने बताया कि इस मामले में 22-8-2023 को 36 लोगो को दोषित किया गया था एवं आज इसमें सजा के प्रश्न पर सुनवाई थी। अपर जिला सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह ने दोनों पक्षों की व्यापक बहस को सुना तथा जो अभियुक्त हैं उन्हें 10-10 साल का कारावास व 20-20 साल के अर्थ दंड से दंडित किया है ,साथ ही अन्य धाराओं में भी इस मामले में अभियुक्तों को दंडित किया गया है।

यह 2003 का मामला है और इस मामले में तब से ही साक्ष्य संकलन के बाद आरोप पत्र दाखिल किया गया था तथा वर्तमान में ये मामला कोर्ट नंबर 7 शक्ति सिंह के न्यायालय में विचारधीन था और इसमें हमारे सहायक शासकीय अधिवक्ता परविंदर कुमार ने बहुत मेहनत की है एवं बहुत व्यापक साक्ष्य कोर्ट के सामने प्रस्तुत किए हैं साथ ही सभी पुलिस प्रपत्र साबित कराए हैं और यह मामला अपने अंजाम तक पहुंचा है। इसमें अब सभी अभियुक्तों को 10 साल के कारावास की सजा  तथा 20-20 हजार रुपए के अर्थ दंड से सभी को दंडित किया गया है।

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