जेवर। जेवर कस्बे में बिजली की हाईटेंशन लाइन के नीचे अवैध रुप से चल रहे एक अस्पताल के मालिक ने 6 वर्ष के एक बच्चे का पूरा जीवन बर्बाद कर दिया। इस तथाकथित डाक्टर की धन कमाने की हवस के कारण मासूम बच्चे के दोनों हाथ कट गए। इतने बड़े अपराध को करने के बाद भी अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार नहीं किया गया है। आरोप है कि अस्पताल के मालिक की पुलिस के कुछ अधिकारी मदद कर रहे हैं। मात्र लापरवाही से किसी को चोटिल करने वाली धारा 338 के तहत मामला दर्ज कर मामले को रफा दफा किया जा रहा है।
गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के निर्देश पर कराई गई जांच में पूरा अस्पताल अवैध पाया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को अवैध मानते हुए सील कर दिया है। इसके बावजूद 6 वर्षीय बच्चे माधव के दोनों हाथ कटने के दोषी अस्पताल के मालिक को पुलिस ”टच” तक नहीं कर रही है।
चेतना मंच इस प्रकरण पर लगातार समाचार प्रकाशित कर रहा है। चेतना मंच ने आपको बताया था जेवर में स्थित चौधरी मेडिकेयर सेंटर अस्पताल के ठीक ऊपर से बिजली की हाईटेंशन लाइन गुजर रही है। देखें फोटो
सबको पता है कि बिजली की हाईटेंशन लाइन के नीचे किसी भी प्रकार का निर्माण करना गैर कानूनी यानि अवैध होता है। बिजली की इस हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से 6 वर्षीय माधव के दोनों हाथ बस्ट हो गए। बाद में एम्स अस्पताल में बच्चे के दोनों हाथ काटने पड़े। वह बच्चा अभी भी जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहा है। जेवर थाने की पुलिस ने इस पूरे प्रकरण में मामूली धारा 338 के तहत एफआईआर दर्ज की है।
आपको बता दें कि चौधरी मेडिकेयर सेंटर नामक अस्पताल का मालिक डा. अजीत चौधरी है। उनकी पत्नी भी डाक्टर है। उसका नाम डा. माधुरी चौधरी है। ये दोनों ही मिलकर जेवर में चौधरी मेडिकेयर के नाम से इस अवैध अस्पताल को चला रहे थे। अब चौधरी मेडिकेयर अस्पताल को तो सील कर दिया गया है किन्तु इतने जघन्य अपराध में डा. अजीत चौधरी को पुलिस ”टच” तक नहीं कर रही है।
जेवर के नागरिकों व दोनों हाथ गंवाने वाले मासूम माधव के परिजनों का साफ आरोप है कि पुलिस के कुछ अधिकारी अपराधी डाक्टर को संरक्षण दे रहे हैं। आरोप तो यह भी है कि इस डॉक्टर को क्षेत्र के एक प्रमुख राजनेता का भी ”आशीर्वाद” प्राप्त है। इसी कारण लोग कह रहे हैं कि इतने बड़े अपराध के बाद भी डा. अजीत चौधरी का बाल तक बांका नहीं हो रहा है।
इस मामले में एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि छोटी छोटी बातों पर हंगामा करने वाले विभिन्न सामाजिक संगठनों के कर्ता धर्ता कहां चले गए हैं। इस गंभीर प्रकरण में एक भी सामाजिक कार्यकर्ता जबान क्यों नहीं खोल रहा है ? क्या उनकी समाजसेवा केवल अखबारों के बयान छपवाने व भाषणबाजी तक ही सीमित है। इसी प्रकार के ढेर सारे अनउतरित सवाल इस मामले में मौजूद हैं।
चेतना मंच ने इस पूरे प्रकरण को नोएडा की पुलिस कमिश्नर श्रीमती लक्ष्मी सिंह के सामने भी रखा है। साथ ही चेतना मंच की टीम ने तय किया है कि जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे 6 वर्षीय माूसम माधव को पूरा न्याय मिलने व दोषी डाक्टर व उसके साथियों को सजा मिलने तक चेतना मंच इस मामले को जोर शोर से उठाता रहेगा। चेतना मंच तमाम सामाजिक संगठनों से भी अपील करता है कि अपने अपने स्तर से इस मामले को जरुर उठाएं।