दिल्ली की एक अदालत ने 2014 में मानसिक रूप से अस्वस्थ एक लड़के का यौन उत्पीड़न करने के दोषी एक व्यक्ति को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और कहा कि ऐसे अपराधों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार ने कहा, इस मामले में पीड़ित मानसिक रूप से 90 प्रतिशत दिव्यांग है, जिसके साथ दोषी ने यौन उत्पीड़न किया। बाल पीड़ित के साथ इस तरह के अपराधों को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
पीड़ित 28 मई 2014 को एक फ्लाईओवर के नीचे बिना कपड़ों के पाया गया था। वह बेहोशी की हालत में और खून से लथपथ था। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पिछले महीने की 26 तारीख को अपने आदेश में न्यायाधीश ने कहा, दोषी किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है और तदनुसार उसे 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई जाती है। अदालत ने पीड़ित को तीन लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया।