महाकाल की नगरी उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में प्राचीन मंदिर के भव्य निर्माण का कार्य जल्द शुरू हो सकता है। इस मंदिर का निर्माण पुरातात्विक शैली में किया जाएगा। इसकी नींव से लेकर मुख्य शिखर तक का निर्माण राजस्थान के कारीगर करेंगे। महाकालेश्वर मंदिर परिसर में निर्माण के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पौराणिक इतिहास जानने का मौका मिलेगा। आपको बता दें कि ढाई साल पहले मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान एक प्राचीन मंदिर मिला था। इसी प्राचीन मंदिर को अब आकार देने की तैयारी की जा सकती है। पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को पुरातात्विक शैली में बनाने का निर्णय लिया है। विभाग की एक्सपर्ट टीम इस प्राचीन मंदिर के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर रही हैं। ताकि प्राचीन मंदिर को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए नया निर्माण कार्य किया जा सके।

निर्माण कार्य की शुरुआत के लिए मंदिर से निकले पत्थरों को एकत्रित कर उनकी सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग भोपाल के अधिकारी डॉ. रमेश यादव का कहना है कि निर्माण के लिए खर्च इस समय उपलब्ध पत्थरों की उपयोगिता पर निर्भर करेगा। लेकिन निर्माण के लिए अनुमानित खर्च का आंकलन करते हुए पुरातत्व विभाग ने बताया कि इस प्राचीन मंदिर के निर्माण में लगभग 65 लाख रुपए का खर्च आ सकता है।

मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया में इसकी प्राचीन शैली का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसलिए यह मंदिर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनेगा। राजस्थान के कुशल कारीगर इसे तैयार करेंगे। कारीगरों की शृंगारकला और स्थापत्य कला का मिलन इस मंदिर को एक नई ऊंचाई छूने का अवसर देगा। हर दिन बनेगी प्रगति रिपोर्ट जानकारी के मुताबिक निर्माण कार्य के दौरान हर दिन एक विशेष रिपोर्ट तैयार की जाएगी। ये रिपोर्ट मंदिर निर्माण की प्रगति पर आधारित होगी।, जिसे मंदिर के विशेषज्ञ तैयार करेंगे।

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