सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम के विरुद्ध दायर की गई याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उन पर सुनवाई की है। इस पर महमूद मदनी ने कहा है कि कोर्ट ने हमारी आशंकाओं को स्वीकार किया है। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा वह भी जनहित में होगा।

जमीयत उलेमा-ए- हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम के विरुद्ध तैयार विभिन्न याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उन पर सुनवाई की है। इस पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष व पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि वक्फ संशोधन कानून 2025 पर दूसरे दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हमारी उन आशंकाओं को भी स्वीकार कर लिया जो हमारी ओर से दाखिल की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई 5 मई को करेगा।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि फिलहाल हमारी याचिकाओं को तो सुना है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कानून पर अंतिम रोक लगाने से इंकार कर दिया है। यह अलग बात है कि न्यायालय वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। जारी निर्देशों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी वक्फ संपत्ति चाहे वह पंजीकृत हो या वक्फ बाय यूजर की श्रेणी में हो, फिलहाल अपनी वर्तमान स्थिति में बनी रहेगी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि न्यायिक अनुसंधान के तहत केवल पांच याचिकाओं पर ही सुनवाई की जाएगी। यानी साफ है कि वक्फ को लेकर किन्हीं प्रमुख पांच याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि हमने संस्था की ओर से राजीव धवन और मंसूर अली खान को अपना वकील किया है।

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