पश्चिम बंगाल सरकार ने गुरूवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की और दावा किया कि हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में है।
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगों के दौरान बम विस्फोट हुए थे।
याचिका में उन्होंने अनुरोध किया था कि हिंसा की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंपी जाए।
राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि जिले में हिंसा को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन द्वारा पर्याप्त कदम उठाए गए हैं।
केंद्र की ओर से पेश वकील ने अदालत के समक्ष अनुरोध किया कि मुर्शिदाबाद में सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) की तैनाती को जिले की जमीनी स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए कुछ समय के लिए और बढ़ा दिया जाए।
मुर्शिदाबाद के उपद्रवग्रस्त सुती, शमसेरगंज-धुलियान इलाकों में फिलहाल केंद्रीय बलों की लगभग 17 कंपनियां तैनात हैं।
एक अन्य याचिकाकर्ता ने हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों की उनके घरों में वापसी के लिए राज्य सरकार द्वारा कदम उठाए जाने का अनुरोध किया।
राज्य सरकार ने कहा कि कुछ प्रभावित परिवार पहले ही अपने घर लौट चुके हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा से बचकर कई लोगों ने मालदा जिले के एक स्कूल में राहत शिविर में शरण ली है।