उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों में शिक्षकों और छात्रों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति की शुरुआत की है। शुरुआत में यह प्रणाली 560 सहायता प्राप्त मदरसों में लागू की गई है। इस कदम का उद्देश्य उपस्थिति और शिक्षण गतिविधियों की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करना है।
उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने बताया कि सभी 560 अनुदानित मदरसों में नई व्यवस्था लागू हो गई है। शिक्षकों और छात्रों को अपनी उपस्थिति बायोमेट्रिक तरीके से दर्ज करानी होगी। इससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कौन किस समय आता है और कौन किस समय जाता है।
इस नई प्रणाली के तहत कक्षाओं और कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है। इससे शिक्षण गतिविधियों की समय पर निगरानी की जा सकेगी। बायोमेट्रिक डेटा से उपस्थिति का सटीक रिकॉर्ड मिलेगा।
दूसरे चरण में बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम को राज्य भर के सभी मान्यता प्राप्त मदरसों तक विस्तारित किया जाएगा। इस विस्तार का उद्देश्य मदरसा बोर्ड के तहत सभी शैक्षणिक संस्थानों में उपस्थिति की ट्रैकिंग को मानकीकृत करना है।
सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों और मदरसा संचालकों को मुख्यालय को दैनिक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिए गए है। इन रिपोर्टों में उपस्थिति और कार्यान्वयन के दौरान आने वाली किसी भी समस्या का विवरण शामिल होगा।
राज्य सरकार का मानना है कि इन उपायों से मदरसों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। प्रौद्योगिकी के उपयोग से नियमित उपस्थिति और उचित निगरानी सुनिश्चित करके शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।
योगी सरकार की यह पहल धार्मिक संस्थानों में शैक्षणिक प्रथाओं को आधुनिक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए व्यापक प्रयास को दर्शाती है। प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके उनका उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता में महत्वपूर्ण सुधार लाना है।
बायोमेट्रिक सिस्टम की शुरुआत राज्य में शैक्षणिक बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधिक जवाबदेह और पारदर्शी शैक्षणिक माहौल के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा में सुधार के लिए राज्य की प्रतिबद्धता इन हालिया परिवर्तनों में स्पष्ट है। छात्रों को निरंतर और निगरानी वाली शिक्षा मिले। यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जिससे बेहतर शिक्षण परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
सरकार का मानना है कि यह कदम पारंपरिक शैक्षणिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा है। यह उपस्थिति और शिक्षण गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के महत्व को बढ़ाएगा। इन परिवर्तनों से मदरसों के संचालन में सकारात्मक परिवर्तन आने की उम्मीद है। जिससे शिक्षकों और छात्रों दोनों को लाभ होगा।