लाख कोशिश के बाद भी मणिपुर में हिंसा जारी है। प्रदेश में प्रशासनिक स्तर पर कई फेरबदल हुआ, DGP बदले गए, कल 11 ऑफिसर के तबादले हुए। फिर भी कोई सुधर देखने को नहीं मिल रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए NH2 पर नाकाबंदी हटाने की अपील की थी, जिसके बाद कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिट (COTU) ने 5 जून से सात दिनों के लिए नाकाबंदी को अस्थायी रूप से निलंबित करने का निर्णय लिया था। लेकिन अब इस रोड को फिर से जाम कर दिया गया है। ताजा हिंसा की घटनाओं में एक बुजुर्ग महिला समेत तीन लोगों की मौत हो गई तो वहीं दो अन्य घायल भी हुए हैं। खोजबीन जारी है लेकिन अपराधी की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
कमेटी ऑन ट्राइबल यूनिट की सदय हिल्स कमेटी ने कांगपोक्पी जिले में नेशनल हाइवे 2 के 13 किलोमीटर लंबे हिस्से को फिर से ब्लाक कर दिया है। आदिवासी संगठन ने दावा किया है कि सेना की वर्दी में कुछ बंदूकधारियों ने कांगपोक्पी और इंफाल जिले को जोड़ने वाली सीमा पर कुकी बहुल गांव खोकेन पर हमला किया। जिसमें उनके कई लोग घायल हो गए।
सीओटीयू के प्रवक्ता रेव के सितहो ने कहा कि खोकेन गांव में हुए हमले के बाद आर्थिक नाकाबंदी को फिर से लागू करने का निर्णय लिया गया। यह फिलहाल अनिश्चित समय तक रहेगा। यह हाईवे प्रदेश का लाइफ लाइन कहा जाता है। सारी आवश्यक सामानों की पूर्ति इसी रास्ते से होती है। अब इसे अनिश्चित काल के लिए जाम करने के बाद सरकार का अगला कदम क्या होगा, इस इंतजार आम लोगों को है।
गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के चार दिन के दौरे पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए NH2 पर नाकाबंदी हटाने की अपील की थी, जिसके बाद सीओटीयू ने 5 जून से सात दिनों के लिए नाकाबंदी को ख़त्म करने का निर्णय लिया था।
कुकी समूह ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि केवल आवश्यक वस्तुओं और चिकित्सा संबंधी चीजों की आपूर्ति के लिए सुबह दस से दो बजे तक केंद्रीय बलों के साथ हाइवे पर यातायात की अनुमति दी गई है। तीन मई से शुरू हुए मणिपुर हिंसा में अबतक 105 लोग मारे गए और 350 के करीब घायल हुए हैं। लगभग 37,000 लोगों को हिंसाग्रस्त क्षेत्रों से बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचया गया है।
कुकी और मैतई समुदाय के बीच छिड़ी हिंसा ने राज्य के प्रशासन व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।केंदीय सुरक्षा बलों को भी यहां की स्थिति को दुरुस्त करने भेजा गया लेकिन इन्हें में सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद हिंसाग्रस्त जगहों में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए दो दिन पहाड़ी और घाटी क्षेत्र में सुरक्षाबलों द्वारा संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया।
क्षेत्रों की तलाशी से पहले अवैध हथियारों की स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करने और आम नागरिकों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका ध्यान रखते हुए अभियान चलाए गए। तलाशी अभियान के दौरान ड्रोन से निगरानी रखी जा रही है।
ताकि कहीं से भी अगर भीड़ इकट्ठी होने की खबर मिले तो तुरंत उसपर कार्रवाई हो सके, सेना तो इस कदम से काफी सहूलियत मिल रही है। आज इस तलाशी अभियान में 35 हथियार जिसमें गोला-बारूद और जंगी सामान बरामद किए गए।