भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को खत्म करने का निर्णय लिया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच तीन युद्धों के बावजूद जारी रहा था, लेकिन अब भारत ने यह कदम आतंकवाद के कारण उठाया है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश बन चुका है। भारत का यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है। पाकिस्तान ने इसका विरोध करते हुए इसे युद्ध के जैसे एक कदम माना है। हालांकि, पाकिस्तान की सरकार ही नहीं, बल्कि वहां के लोग भी इस स्थिति को लेकर काफी चिंतित हैं।

पाकिस्तान में मचा डर

पाकिस्तान के एक किसान होमला ठाकुर ने मीडिया से बातचीत में अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सिंधु नदी का जलस्तर बहुत घट चुका है और उनकी फसलें सूख रही हैं। अगर भारत पानी रोकता है, तो पाकिस्तान का अधिकांश हिस्सा रेगिस्तान में बदल जाएगा, जिससे भूख और अकाल की स्थिति पैदा हो सकती है।

इस बारे में पाकिस्तान के एक प्रमुख अर्थशास्त्री और टीम लीडर विकार अहमद ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के इस फैसले के असर को हल्के में लिया था। अब उसे समझ में आ रहा है कि भारत का यह कदम गंभीर है और इसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी असर हो सकता है।

भारत की पानी रोकने की तैयारी

भारत ने भी इस पर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने स्पष्ट कहा कि भारत अब सुनिश्चित करेगा कि सिंधु नदी का एक भी बूंद पानी पाकिस्तान तक न पहुंचे। एक अनाम अधिकारी ने बताया कि भारत ने इस काम के लिए नहरों का उपयोग करने का तरीका अपनाया है, जिससे पानी को भारत के खेतों की तरफ मोड़ा जा सके। हालांकि, जलविद्युत बांधों की परियोजना पूरी होने में 4 से 7 साल लग सकते हैं।

पानी की कमी से आर्थिक संकट

भारत द्वारा पानी रोकने से पाकिस्तान की खेती के साथ-साथ बिजली उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। पाकिस्तान के एक शोधकर्ता गशारिब शौकत ने कहा कि फिलहाल पाकिस्तान के पास इस स्थिति से निपटने के लिए कोई विकल्प नहीं है। अगर पानी की कमी बढ़ती है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लग सकता है।

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