भोपाल। करीब छह महीने बाद मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव 2023 होने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस के अलावा भाजपा की ओर से भी पिछली बार के हारे चेहरों ने ताल ठोक दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि ये हारे चंद चेहरे टिकट के लिए पार्टी की मुश्किल बढ़ाएंगे। इसकी ओर दांव चलना भी शुरू कर दिए गए हैं। इन हारे चेहरों को समझाने से लेकर संभालने तक कई मुश्किलों का सामने करना पडता है। ऐसे में जहां कुछ चेहरे कमजोर हुए हैं, तो वहीं कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जो फिर प्रबल दावेदार के रूप में उभरे हैं। हारे चेहरों को चुनने के मामले में भाजपा की दुश्विारियां ज्यादा हैं, क्योंकि पिछली बार हारे 13 मंत्री और सिंधिया समर्थक नौ चेहरों में ज्यादातर की दावेदारी है। इनमें से कुछ को निगम-मंडल या पार्टी में पुनर्वास से लेकर कई जतन किए गए हैं। बावजूद इसके कई दावेदारी के मैदान में हैं।

अर्चना चिटनिस-
निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा से चुनाव हारीं। नंदकुमार सिंह चैहान से सियासी अदावत भारी पड़ी। इस बार फिर प्रबल दावेदार। लोकसभा उपचुनाव के समय भी दावेदार थीं।

हार- 5120 वोट से
98561 वोट सुरेंद्र सिंह शेरा को।
93441 वोट अर्चना चिटनिस को।

जयभान सिंह पवैया-
राष्ट्रीय कार्यसमिति में सदस्य हैं। दिल्ली के सह-प्रभारी भी। इस बार टिकट मुश्किल, क्योंकि प्रद्युम्र सिंह तोमर से चुनाव हारे थे। प्रद्युम्न ने भाजपा में आकर उपचुनाव जीता। अब मंत्री हैं। पवैया को 36364 वोट और प्रद्युम्र को 38454 वोट मिले थे।

लाल सिंह आर्य-
सीट के समीकरण बदल चुके हैं। पिछला चुनाव रणवीर जाटव से हारे थे। जाटव भाजपा में आकर उपचुनाव लड़े और हार गए। इस बीच संगठन ने आर्य को साधने अजा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। अब समीकरण गड़बड़ हैं, क्योंकि लाल के साथ रणवीर भी दावेदार।

ओमप्रकाश धुर्वे-
पिछला चुनाव भूपेंद्र मरावी से हारे थे। संगठन ने जातिगत समीकरणों के चलते पार्टी में राष्ट्रीय मंत्री का पद दिया है। अब आदिवासी नेता के तौर पर वापस टिकट चाहते हैं। क्षेत्र में सक्रिय हैं। भूपेंद्र को 88687 वोट मिले थे और ओमप्रकाश को 54727 वोट।

उमाशंकर गुप्ता-
पूर्व मंत्री हैं। भोपाल दक्षिण-पश्चिम से पीसी शर्मा से हारे थे। इस बार भी दावेदार। हालांकि उम्र के पैमाने पर दिक्कतें हैं। निकाय चुनाव में प्रबंधन समिति का संयोजक बनाया गया था।

दीपक जोशी-
पिछला चुनाव हाटपिपलिया सीट पर मनोज चैधरी से हारे थे। बाद में मनोज भाजपा में आ गए। उपचुनाव हुए। मनोज का टिकट काटकर इन्हें मौका मिलना आसान नहीं।

शरद जैन-
पूर्व मंत्री जैन जबलपुर पूर्व से दावेदार हैं। पिछला चुनाव विनय सक्सेना से हारे थे। अब फिर क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। सामाजिक कार्यक्रमों में जगह-जगह पहुंचने लगे हैं।

इनकी राजनीतिक सक्रियता घटी-
रुस्तम सिंह-
पूर्व मंत्री रुस्तम पिछला चुनाव रघुराज सिंह से 20849 वोट से हारे थे। कंसाना भाजपा में आकर उपचुनाव लड़े और हार गए। अब कंसाना ज्यादा मजबूती से दावेदारी कर रहे हैं, इसलिए रुस्तम के लिए दिक्कतें हैं।

अंतर सिंह आर्य-
पूर्व मंत्री अंतर सिंह आर्य सेंधवा से पिछला चुनाव ग्यारसीलाल रावत से हार गए थे। अब कई दावेदार हैं। उन्हें पहले उनसे जूझना होगा। अंतर को 78844 वोट मिले थे, इसके विपरीत ग्यारसीलाल को 94722 वोट।

बालकृष्ण पाटीदार-
पूर्व मंत्री पाटीदार पिछला चुनाव खरगोन से कांग्रेस के रवि जोशी से हारे थे। दूसरे दावेदार होने से अब पाटीदार की दावेदारी कमजोर हुई है। जोशी को 88208 वोट मिले थे। बालकृष्ण को 78696 वोट।

ललिता यादव-
पूर्व मंत्री ललिता छतरपुर जिले की बड़ा मलहरा सीट से प्रद्युम्र सिंह लोधी से हारी थीं। दावेदारी के लिए भरपूर प्रयास, लेकिन क्षेत्र में और कई दावेदार हैं। प्रद्युम्र को 67184 वोट मिले थे। ललिता को महज 51405 वोट।

नारायण सिंह कुशवाह-
ग्वालियर दक्षिण सीट से पूर्व मंत्री नारायण कांग्रेस के प्रवीण पाठक से 127 वोट से हार गए थे। अभी भाजपा ने उन्हें ओबीसी मोर्चा की जिम्मेदारी दे रखी है। इस कारण टिकट मिलने की संभावना बेहद कम है।

जयंत मलैया-
दमोह सीट से 2018 में 798 वोट से हारे। सत्ता परिवर्तन के समय राहुल लोधी भाजपा में आ गए। उपचुनाव में कांग्रेस के अजय टंडन से राहुल हार गए। इस पर राहुल ने मलैया परिवार को जिम्मेदार ठहराया। अब दोनों ओर से दावेदारी। टिकट को लेकर स्थिति उलझी है।

सिंधिया खेमे के हारे 9 नेताओं की दावेदारी-
रघुराज सिंह कंसाना, मुरैना- उपचुनाव की हार केबाद पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बनाया।
गिर्राज दंडोतिया, दिमनी (पूर्व मंत्री), उपचुनाव हारने के बाद राज्य ऊर्जा विकास निगम अध्यक्ष बनाया गया। टिकट के लिए फिर दावेदारी।
इमरती देवी, डबरा (पूर्व मंत्री)-
7663 वोट से कांग्रेस के सुरेश राजे से उपचुनाव हारीं। सरकार ने लघु उद्योग निगम का अध्यक्ष बनाया है।
रणवीर जाटव, गोहद-
उपचुनाव हारे। हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है, फिर दावेदारी कर रहे।
मुन्नालाल गोयल, ग्वालियर पूर्व-
उपचुनाव हारने के बाद राज्य बीज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया। इस सीट पर कई दावेदार कतार में।
जसवंत जाटव, करैरा-
उपचुनाव में हार के बाद राज्य पशुधन एवं कुक्कुट निगम का अध्यक्ष बनाया गया। जाटव सहित छह और दावेदार।
ये भी खास एंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह और हरदीप सिंह डंग भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। एंदल चुनाव हार गए। बिसाहूलाल, हरदीप चुनाव जीतकर अभी मंत्री हैं। एंदल को एमपी एग्रो इंडस्ट्री डेवपलमेंट कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष बनाया गया है,लेकिन वे चुनावी मैदान में उतरना चाहते हैं।
हमारी ओर से पूरी तैयारी है, बाकी संगठन पर फैसला रहता है। संगठन के निर्देश मानेंगे।
– दीपक जोशी, भाजपा नेता
हमने तो क्षेत्र में काम किया है। अभी भी लगातार काम कर रहे हैं। बाकी जो पार्टी आदेश करेगी वो ही होगा।

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