कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा-वृंदावन कान्हा के रंग में रंगा नजर आया। चारों तरफ उमंग उत्साह और भक्ति का मौहाल है। यहां के प्रमुख मंदिरों में 7 सितंबर की मध्यरात्रि 12 बजे कान्हा का जन्म होगा।
इस मौके पर गली-गली ‘हरे कृष्णा, हरे कृष्णा’ से गूंज रही है। जन्मोत्सव का साक्षी बनने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंची है।
लल्ला के स्वागत के लिए मथुरा-वृंदावन को दुल्हन की तरह सजाया गया है। मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर पर मुख्य आयोजन शुरू हो गए हैं। राधा दामोदर मंदिर में 251 किलो पंचामृत से अभिषेक किया गया।
वृंदावन के शाह जी मंदिर में 101 किलो पंचामृत से अभिषेक किया गया। गुरुवार तड़के श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थित भगवत भवन में कार्यक्रमों की शुरुआत मंगला आरती के साथ की गई। इसके बाद शोभायात्रा निकाली गई।
वहीं, वृंदावन के राधा रमण मंदिर में भगवान कृष्ण का सवा मन यानी 50 किलो दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से अभिषेक किया गया। प्रेम मंदिर, बांके बिहारी, रंगनाथ, द्वारकाधीश, राधा रमण, इस्कॉन समेत 25 मंदिर रोशनी से जगमगा रहे हैं।
जन्मभूमि स्थित गर्भगृह में कारागार की तरह सजावट की गई है। जन्माष्टमी पर 25 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के मथुरा आने की संभावना है। चौराहे और घाटों पर भी भव्य सजावट की गई है।
घर, गली-मोहल्ले में उत्सव है। हर शख्स प्रेम, आस्था और उत्साह में सराबोर है। खास बात यह है कि इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रयान-3 की झलक दिखेगी।
हरियाणा के भिवानी से आए निवासी जगनाथ दास पहली बार यहां दर्शन करने आए हैं। कई किलोमीटर पैदल भी चले। पांव में छाले भी पड़ गए हैं। लेकिन, उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कन्हैया की जन्मस्थली ब्रज में विभिन्न संस्कृतियों का समागम हुआ।
बुंदेलखंड, भोजपुरी, हरियाणवी और ब्रज संस्कृति का समागम देख मथुरावासी ही नहीं देश-विदेश से आए भक्त भी आनंदित हो उठे। यह नजारा 250 लोक कलाकारों की शोभायात्रा में देखने को मिला।
डीएम शैलेश कुमार सिंह ने बताया कि जन्मोत्सव की तैयारी पूरी हो चुकी है। श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसका पूरा ख्याल रखा गया है। सुरक्षा व्यवस्था बहुत अच्छी की गई है। स्थानों को कई सेक्टर में बांटा गया है।