जिले के थाना रकाबगंज के 17 साल पुराने मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। बीमा रकम हड़पने के लिए आरोपियों ने एक भिखारी को कार में अपने कपड़े पहनाकर जिंदा जला दिया था।इस सनसनीखेज मामले का नवंबर 2023 में अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करके खुलासा किया था। इसी मामले में रकाबगंज पुलिस ने मुख्य आरोपी के पिता की गिरफ्तारी की है।

पुलिस के मुताबिक 30 जुलाई 2006 को आगरा किला के सामने टक्कर रोड पर एक कार खंभे से टकराई थी। कार में भीषण आग लगी थी। ड्राइविंग सीट पर बैठा युवक जिंदा जल गया था। कार नंबर के आधार पर पुलिस ने भट्टा परसौल, दनकौर गौतमबुद्ध नगर निवासी विजय सिंह से संपर्क किया था। वह आगरा आए थे। कार अपने बेटे अनिल सिंह की बताई थी। शव की पहचान की। शव की पहचान कराने में महिपाल और रामवीर ने गवाही दी थी।
अनिल सिंह ट्रैवल एजेंसी चलाता था। उसका करीब 60 लाख रुपये का बीमा था। मृत्यु प्रमाणपत्र बनने के बाद बीमा राशि ले ली गई। अनिल सिंह वास्तव में मरा नहीं था। वह अहमदाबाद में पहचान छिपाकर रहने लगा था। राजकुमार चौधरी नाम से अपना आधार कार्ड बनवा लिया था। नई कार और ऑटो खरीद लिया था। गोपनीय शिकायत के बाद पुलिस ने अनिल सिंह को जिंदा पकड़ा था। उसके खिलाफ अहमदाबाद में धोखाधड़ी और हत्या का केस दर्ज किया गया था।
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि अहमदाबाद में दर्ज केस विवेचना के लिए आगरा भेजा गया था। रकाबगंज थाने में केस पंजीकृत कराया गया। पुलिस टीम ने भट्टा पारसौल, दनकौर (गौतमबुद्ध नगर) में छानबीन शुरू की। पुलिस को जानकारी मिली कि घटना की साजिश में अनिल सिंह के पिता विजय सिंह, चाचा अभय सिंह, रामवीर शामिल थे। विजय सिंह और अभय सिंह ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती थी। पुलिस ने रामवीर सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेजा है। विजय पाल सिंह और अभय पाल सिंह वर्तमान में लोहिया नगर, गाजियाबाद में रहते हैं।
इंस्पेक्टर रकाबगंज ने बताया कि अनिल सिंह को मृत दर्शाकर उसके पिता ने बीमा कंपनी से 56 लाख रुपये से अधिक का भुगतान लिया था। पुलिस के अनुसार इस मामले में सबसे पहले जून 2022 में नोएडा पुलिस से शिकायत हुई थी। नोएडा पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। बाद में शिकायत अहमदाबाद क्राइम ब्रांच से की गई थी।
भिखारी को कार में बिठा जिंदा जलाया
पुलिस के अनुसार अनिल और उसके साथियों ने फुटपाथ से एक भिखारी को खाना खाने के बहाने पास बुलाया था। उसे खाना खिलाया। अनिल ने अपने कपड़े पहनने के लिए दिए। उसने अनिल के कपड़े पहन लिए। खाने में बेहोशी की दवा थी। भिखारी बेहोश हो गया। उसे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठाया। कार को जला दिया गया। शव पूरी तरह जल जाए। इसलिए पेट्रोल भी डाला गया था। भिखारी की शिनाख्त अब तक नहीं हो सकी है।

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