सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में आजमगढ़ में जहरीली शराब से नौ लोगों की मौत के मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रमाकांत यादव की जमानत याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने यादव को जमानत देने से इनकार करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। पीठ की ओर इस पर विचार करने की अनिच्छा जताए जाने के बाद यादव के वकील ने याचिका वापस ले ली।
रमाकांत यादव ने हाईकोर्ट के 14 मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी और अधीनस्थ अदालत को निर्देश दिया गया था कि वह चार महीने के भीतर शेष गवाहों के बयान का परीक्षण करे। हाईकोर्ट ने कहा था, ‘‘रिकॉर्ड के अवलोकन से पता चलता है कि याचिकाकर्ता की पहली जमानत याचिका को इस अदालत के छह सितबंर 2023 के आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया था और अधीनस्थ अदालत को निर्देश दिया गया था कि वह मुकदमे में तेजी लाए और इसे यथाशीघ्र, अधिमानत: छह महीने की अवधि के भीतर निपटारा करे, हालांकि अब तक केवल छह गवाहों के बयान का ही परीक्षण किया गया है।
हाईकोर्ट ने कहा था, ‘‘रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ महत्वपूर्ण गवाहों के बयान का परीक्षण हो चुका है, लेकिन कुछ गवाहों के बयान का परीक्षण होना बाकी है। मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, सुनवाई के इस चरण में याचिकाकर्ता-आरोपी को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं होगा। फरवरी 2022 में आजमगढ़ के अहरौला थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें कथित तौर पर जहरीली शराब पीने से नौ लोगों की मौत हो गई थी। प्राथमिकी में यादव का नाम नहीं था, लेकिन सितंबर 2022 में इसे जोड़ा गया था।