उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की एक एमपी/एमएलए अदालत ने संबंधित अधिकारियों को पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के स्वामित्व वाली संपत्तियों की पहचान करने और उन्हें कुर्क करने को कहा है, जो 22 साल पुराने अपहरण के मामले में कई अदालती समन जारी करने के बाद भी पेश नहीं हुए थे। मामला एक स्कूली लड़के के अपहरण का था, जिसमें पूर्व मंत्री अपने खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी अदालत में पेश नहीं हुए।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बस्ती के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रमोद गिरि ने जिला पुलिस अधीक्षक को त्रिपाठी की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के लिए एक टीम गठित करने और सीआरपीसी की धारा 83 (फरार व्यक्ति की संपत्ति की कुर्की) के तहत उसके खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण पेश करने का भी निर्देश दिया। यह मामला 2001 में बस्ती में धर्म राज गुप्ता के बेटे के अपहरण से संबंधित है और त्रिपाठी सहित 6 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। बाद में लड़के को लखनऊ में त्रिपाठी के आवास से बरामद किया गया। त्रिपाठी और एक अन्य आरोपी शिवम को छोड़कर अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है। अदालत के आदेश के बाद, पुलिस ने 17 नवंबर को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 (फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा) के तहत त्रिपाठी को नोटिस भेजा। नए आदेश के बाद त्रिपाठी की संपत्ति की कुर्की की कार्रवाई हो सकती है। एएसपी दीपेंद्र नाथ ने कहा कि त्रिपाठी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस कर्मियों की एक नई टीम गठित की जाएगी।

गौरतलब है कि कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को ‘अच्छे व्यवहार’ के कारण 25 अगस्त को समय से पहले रिहा कर दिया गया था। हालांकि, वे बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निजी वार्ड में रहते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए अदालत के सामने पेश होने से बचते रहे। इस बीच, अदालत ने त्रिपाठी के खिलाफ मामले में अदालत की अवमानना और अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही का आरोप लगने के बाद एक पुलिस स्टेशन प्रभारी द्वारा मांगी गई माफी पर सुनवाई की अगली तारीख 20 दिसंबर तय की है।

 

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