भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के पड़ोस में हिंदुओं के मानवाधिकार उल्लंघन का जिक्र करते हुए इस मुद्दे को लेकर दुनिया की चुप्पी पर शुक्रवार को सवाल उठाया और कहा कि इस तरह के उल्लंघन के प्रति ‘अत्यधिक सहिष्णु’ होना उचित नहीं है।
धनखड़ ने ‘तथाकथित नैतिक उपदेशकों, मानवाधिकारों के संरक्षकों की गहरी चुप्पी’ पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी असलियत सामने आ गई है।
उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘वे ऐसी चीज के भाड़े के टट्टू हैं जो पूरी तरह से मानवाधिकारों के प्रतिकूल है।’
उन्होंने कहा कि ‘हम बहुत सहिष्णु’ हैं और इस तरह के अपराधों के प्रति अत्यधिक सहिष्णु होना उचित नहीं है।
धनखड़ ने लोगों से आत्मचिंतन करने की अपील करते हुए कहा, ‘सोचिए कि क्या आप भी उनमें से एक हैं।’
उन्होंने कहा, ‘लड़के, लड़कियों और महिलाओं को किस तरह की बर्बरता एवं यातना और मानसिक आघात झेलना पड़ता है, उस पर गौर कीजिए।’
उन्होंने कहा, ‘देखिए कि हमारे धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया जा रहा है।’ बहरहाल, उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया।
उपराष्ट्रपति ने साथ ही कहा कि कुछ हानिकारक ताकतें भारत की ‘खराब छवि’ पेश करने की कोशिश कर रही हैं और उन्होंने ऐसे प्रयासों को बेअसर करने के लिए ‘प्रतिघात’ करने का आह्वान किया। धनखड़ ने कहा, भारत को दूसरों से मानवाधिकारों पर उपदेश या व्याख्यान सुनना पसंद नहीं है।