बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाला इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कंसियसनेस) अब कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम के निशाने पर है। इस संगठन ने इस्कॉन पर आरोप लगाया है कि वह पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार का पक्षधर है और बांग्लादेश में विदेशी सांस्कृतिक एजेंडा लागू करने की कोशिश कर रहा है। वहीं हिफाजत ने इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जबकि इस्कॉन खुद एक गैर-राजनीतिक और सामाजिक संगठन है, जो बांग्लादेश में 18 मंदिरों के माध्यम से विभिन्न सामाजिक कार्य करता है, जिनमें सभी धर्मों के लोगों को मुफ्त भोजन वितरण जैसे कार्य शामिल हैं।

हिफाजत-ए-इस्लाम के नेता मुफ्ती हारुन इजहार ने आरोप लगाया कि इस्कॉन बांग्लादेश में राजनीतिक गतिविधियों में शामिल हो रहा है और यह समाज के लिए खतरा बन सकता है। हारुन ने बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि अगर इस्कॉन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया, तो यह विरोध और उग्र हो सकता है। वहीं हिफाजत ने देशव्यापी प्रदर्शन की चेतावनी दी है, और उनका कहना है कि यह विरोध समाज की स्थिरता के लिए आवश्यक है।

बांग्लादेश के चटगांव शहर में हाल ही में एक फेसबुक पोस्ट के बाद हिंसा भड़क गई, जिसमें 53 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक हिंसा में व्यापारियों की दुकान को जलाने की कोशिश की गई और पुलिस और सेना पर भी हमले हुए जिसमें 12 सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। पुलिस के खिलाफ आरोप हैं कि उसने निर्दोष लोगों को भी गिरफ्तार किया है।

बता दें कि हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश का एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है, जिसमें धार्मिक शिक्षक और छात्र शामिल हैं। इस संगठन ने पहले भी हिंदू समुदाय के खिलाफ आवाज उठाई है। 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बांग्लादेश दौरे के खिलाफ भी इसने 3 दिनों तक प्रदर्शन किया था। हिफाजत के नेताओं के खिलाफ कई गंभीर मामले चल रहे हैं, जिनमें हत्या, बर्बरता, आगजनी और संपत्ति की क्षति जैसी गंभीर आरोप शामिल हैं।

 

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