फ्रांस संसदीय चुनाव में वामपंथी गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं।
राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी दूसरे नंबर पर है। मजबूत मानी जा रही धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे नंबर पर रही है। फ्रांस संसदीय चुनाव में भारी उलटफेर हुआ है। यहां किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। वामपंथी गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं। राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी दूसरे नंबर पर है। मजबूत मानी जा रही धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली तीसरे नंबर पर रही है। फ्रांस में बहुमत के लिए 289 सीटों की जरूरत होती है। फ्रांस की संसद में जिसे कि असेंबली नेशियोलेन कहा जाता है, इसमें 577 प्रतिनिधि होते हैं। पूर्ण बहुमत के लिए 289 सीट चाहिए होती है।किसी भी एक गठबंधन को बहुमत न मिलने से फ्रांस को राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल में डाल दिया है।
इस चुनाव में धुर दक्षिणपंथी पार्टी के बहुमत हासिल करने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेफ्ट पार्टी ने धुर दक्षिणपंथी पार्टी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। अब सवाल ये है कि आगे क्या है, दरअसल फ्रांस में गठबंधन सरकार का कोई इतिहास नहीं रहा है। वहीं, लेफ्ट में भी मतभेद देखने को मिल रहा है। अब सवाल ये है कि क्या मैक्रों की पार्टी लेफ्ट के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। फिलहाल इसी बात की चर्चा जोरों पर है।
जब फ्रांस की संसद के चुनाव हुए, तो उसमें राइट विंग को भारी कामयाबी मिली। उसके बाद 9 जून को फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने चुनाव का ऐलान कर दिया। पहले दौर की वोटिंग में दक्षिण पंथियों को बड़ी कामयाबी मिलने के संकेत मिले, लेकिन अंतिम समय पर दक्षिणपंथियों को रोकने की जो कोशिश हुई, ये परिणाम उसी का नतीजा है। मेरी ली पेन जो कि राइट विंग की नेता हैं, उनको पूर्ण बहुमत सरकार की उम्मीद थी। लेकिन अब त्रिशंकु सरकार बनती दिख रही है। मैक्रों का कार्यकाल 2027 तक हैं लेकिन इन चुनाव नतीजों से उन पर दबाव बढ़ गया है।