प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जुलाई को फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंचेंगे। 13 जुलाई को ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता होने की उम्मीद है। इसके अगले दिन यानि 14 जुलाई को पीएम मोदी बैस्टिल दिवस समारोह में शामिल होंगे। बैस्टिल डे फ्लाई-पास्ट में भारतीय वायु सेना का राफेल लड़ाकू विमान भी हिस्सा लेगा।
पीएम मोदी की दो दिवसीय पेरिस यात्रा से पहले फ्रांस ने भारत को बड़ा ऑफर दे दिया है। फ्रांस ने अमेरिका और भारत के बीच GE-414 इंजन सौदे से कई कदम आगे की पेशकश कर दी है। फ्रांस की सरकार ने भारत को ऐसे इंजन को संयुक्त रूप से डिजाइन, विकसित, टेस्टिंग और सर्टिफाइट करने का प्रस्ताव दिया है। फ्रांस की ओर से भारत के लिए इस प्रस्ताव को काफी अहम माना जा रहा है, अगर डील पर मुहर लगती है तो इससे भारत के ट्विन इंजन लड़ाकू विमानों के साथ उन फाइटर जेटों को भी मदद मिलेगी जिनका संचालन विमानवाहक पोतों से हो रहा है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि फ्रांस की ओर से प्रस्तावित 100 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रस्ताव यूएस इंटरनेशनल ट्रेड इन आर्म्स रेगुलेशन (ITAR) से मुक्त है और प्रस्तावित 110 किलो न्यूटन इंजन पूरी तरह से मेड इंन इंडिया होगा, मतलब इंजन का निर्माण भारत में ही किया जाएगा। डीआरडीओ प्रमुख डॉ समीर वी कामत ने हाल ही में संपन्न हुई पेरिस एयर शो के दौरान सफरान इंजन फैक्ट्र एंड रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर का विशेष दौरा किया था।
फ्रांस के बाद पीएम मोदी खाड़ी देश यूएई के लिए रवाना होंगे। साल 2014 में पदभार संभालने के बाद से पीएम मोदी की यूएई की यह पांचवीं यात्रा होगी, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है। इससे पहले वह जून 2022, अगस्त 2019, फरवरी 2018 और अगस्त 2015 में यूएई जा चुके हैं। जून 2022 में अपनी पिछली यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के निधन पर संवेदना व्यक्त करने के लिए अबू धाबी के राष्ट्रपति और शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की थी।
इस भाव ने दोनों नेताओं के बीच गहरे व्यक्तिगत संबंधों, भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों को और बढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया। पिछले साल भारत और यूएई के बीच हस्ताक्षरित व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पिछले साल के दौरान, इस समझौते का तेल और गैर-तेल उत्पादों दोनों के मामले में संयुक्त अरब अमीरात को भारत के निर्यात पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई है, जो वित्तीय वर्ष 2021-2022 में 72.9 बिलियन डॉलर से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2022-2023 में 84.5 बिलियन डॉलर हो गई है, जो साल-दर-साल 16 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाती है।