वाराणसी में शनिवार को 9 फर्जी पत्रकारों के एक ऐसे ही स्टिंग में यूट्यूबर्स गैंग का भंडाफोड़ हुआ है। ये गैंग पिछले 6 महीने से NH (नेशनल हाइवे)-19 पर अपने यूट्यूब चैनल की माइक, आईडी और कैमरा दिखाकर धन उगाही का काम किया करता था।यूट्यूब पत्रकारिता की आड़ में वे ओवरलोड ट्रकों और दूसरी मालवाहक वाहनों को फर्जी तरीके से पुलिस से बचाकर निकालना और उनसे अवैध वसूली करते थे। यही इनका मुख्य धंधा बन गया था।
कई बार तो पुलिस को भी पत्रकारिता का धौंस दिखाकर जबरन वसूली कर ले जाते थे। अब लंका थाने की पुलिस ने गंगा पर बने विश्व सुंदरी पुल के नीचे हरसेवानंद पब्लिक स्कूल के पास से गैंग लीडर यानी तथाकथित मुख्य संपादक से लेकर कैमरामैन तक को गिरफ्तार किया है।
हाइवे पर मोहनसराय, भदवर, अमरा अखरी चौकी से लेकर रामनगर के गंगा ब्रिज तक करीब 10 किलोमीटर में इस यूट्यूबर्स गैंग का नेटवर्क फैला था। कई बार वे हाइवे की इन चौकियों में भी पहुंच जाते थे। पुलिसकर्मियों की वर्दी उतरवाने और वीडियो वायरल करने का डर दिखाकर भी धन उगाही किया करते थे।
इस गैंग के पास से पुलिस ने 360 डिग्री कैमरा, सेल्फिस्टिक, एक व्हाइट इनोवा कार, रिपोर्टिंग माइक, कैमरा, ट्राईपॉड, 3 हैंड हेल्ड वाकी-टाकी, 11 सिमकार्ड और नकली आईकार्ड के साथ कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए हैं।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया और शनिवार को ही इन्हें जेल भेज दिया गया है। अब पुलिस द्वारा इन पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी की जा रही है। साथ ही दूसरे फर्जी पत्रकार साथियों की भी तलाश चल रही है।
9 गिरफ्तार फर्जी पत्रकारों में से ककरमत्ता का मृदुल कुमार तिवारी खुद को प्रधान संपादक बताता है। साथ में कैमरामैन लहरतारा का लाल बाबू सोनकर, अनिल कश्यप और प्रकाश शर्मा। रिपोर्टर में आकाश गौतम, दिलीप कुमार, सावन कुमार नायक, ड्राइवर जितेंद्र सोनकर और गौरव भारती पकड़ा गया है।
डाफी हाइवे के पास तैनात एक सिपाही ने बताया वे अक्सर रात को 12 बजे लग्जरी गाड़ियों से उतरकर वाकी-टाकी से बातें करते थे। मध्य प्रदेश और दूसरे प्रदेशों से आने वाली गाड़ियों को रोककर पेपर में कमी बताकर पैसे ऐठते थे। पुलिस की वर्दी में आकर पुलिस को भी धमकाते थे और पैसे की डिमांड करते थे।पुलिस की पूछताछ में पता चला है कि वाराणसी के अलावा, ये लोग चंदौली, भदोही और जौनपुर के इलाकों में एक्टिव रहते थे। बाकी जिलों में भी यदि इनके यूट्यूब चैनल से जुड़कर कोई पत्रकारिता की आड़ में वसूली कर रहा होगा तो पुलिस उन्हें भी गिरफ्तार करेगी।
वाराणसी पुलिस के मुताबिक, ये यूट्यूबर्स गैंग का यूट्यूब चैनल पिछले 2 साल से एक्टिव नहीं है। क्योंकि, चैनल पर कोई नया वीडियो अपलोड ही नहीं हुआ है। ऐसे में ये लोग उस चैनल के नाम का माइक आईडी और कार्ड लेकर पिछले 6 महीने से इसी वसूली के अवैध काम में लिप्त थे।
पुलिस का मानना है कि पत्रकार के हैसियत से NH-19 की पुलिस चौकियों पर अक्सर ही इन यूट्यूबर्स का उठना-बैठना होता था। इसके अलावा, इन चौकियों के आसपास से गुजरने वाले ओवर लोडिंग ट्रकों पर विशेष नजर रखते थे। जैसे ही ट्रक या वाहन गुजरते थे तो ये लोग अपने वाकी-टाकी से पुलिस लोकेशन की इन्फॉर्मेशन बताते थे।
गैंग के सभी 9 लोग वसूली के अलावा, NH-19 दिल्ली-कोलकाता हाइवे पर ओवरलोडिंग गाड़ियों को पास कराने का भी काम किया करते थे। हाइवे की चौकियों पर फैंटम और पुलिस कर्मियों की लोकेशन आपस में शेयर करते थे। जिसमें हाईटेक वाकी-टाकी और फोन भी इस्तेमाल होते थे। पुलिसकर्मियों के आने-जाने का पूरा लोकेशन भी एक-दूसरे से बताते थे।
कई बार तो पुलिस की वर्दी में ही ट्रक वालों को परेशान करते थे। पेपर में कमियां निकालकर उनसे पैसे वसूल लेते थे। यहां तक कि पुलिस को भी नहीं छोड़ा। लग्जरी कार से आकर ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को डराकर बड़े अधिकारियों से शिकायत की धमकियां दे देते थे।
DCP काशी प्रमोद कुमार के मुताबिक, नेशनल हाइवे पर बड़े वाहनों और पुलिस की गाड़ियों को टारगेट करते थे। यहां से आसानी से पैसे मिल जाते थे। रात के वक्त मवेशियों और भारी माल लदे ट्रकों को रोकते थे। पेपर मांगने के दौरान चेकिंग करते थे और पैसे मांगते थे। इसमें पुलिस की वर्दी का इस्तेमाल करते थे। इन लोगों के पास किसी चैनल का रजिस्ट्रेशन या RNI नंबर भी नहीं है।
3 दिन पहले लंका थाना के रमना चौकी पहुंचकर वाकीटाकी से बात करते हुए पुलिस की लोकेशन बता रहे थे। रमना चौकी प्रभारी अश्विनी राय ने बताया कि ये लोग सिपाहियों से नेम प्लेट वर्दी और जूते पहनने के बारे में पूछ रहे थे।
इसके बाद दूसरे वाहनों को रोककर नंबर प्लेट और पेपर के बारे में पूछताछ भी किए। पहले तो पुलिसकर्मी लग्जरी गाड़ी और उनके हाव-भाव से डर गए थे। इसके बाद चौकी प्रभारी की लोकेशन और फैंटम की लोकेशन लेने के बाद वहां से निकल गए। फिर शुक्रवार की देर रात कार से हाइवे पर वाहनों को रोक रहे थे। तभी पुलिस को शक हो गया और सारा भांडाफोड़ हो गया।
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनका एक संगठित गिरोह है। वे लोग हाईवे पर आने-जाने वाले वाहनों को रोककर ओवरलोडिंग की बात कहकर सीज कराने की धमकी देते थे। फिर पैसे वसूलते हैं। रास्ते में ड्यूटी पर नियुक्त पुलिस कर्मियों को वीडियो रिकॉर्डिंग करने और पत्रकार होने की कहकर डराते हैं। उन्हें स्टिंग ऑपरेशन की बात से डरा कर पैसा वसूलते थे।