मारपीट का आरोपी न्यायालय में पेश नहीं हुआ तो गैर जमानती वारंट लेकर पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंच गई। इस दौरान आरोपी के परिजन पुलिस टीम से ही भिड़ गए। इतना ही नहीं हाथापाई कर आरोपित को छुड़ा लिया और दारोगा की वर्दी फाड़ दी। इसके बाद पुलिस वालों के भागना पड़ा। बाद में कई थानों की फोर्स के साथ आई पुलिस टीम ने घेराबंदी करते हुए वारंटी और उसके चार स्वजनों को गिरफ्तार किया।
ये घटना डौकी में हुई। यहां के रहने वाले सुंदर सिंह के खिलाफ वर्ष 2020 में मारपीट, गंभीर चोट पहुंचाने और गाली-गलौज की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था। न्यायालय में पेश न होने पर उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो गया। गुरुवार सुबह करीब 9 बजे गैर जमानती वारंट को लेकर डौकी थाने के दारोगा राहुल वर्मा और मनीष कुमार सुंदर सिंह के घर पहुंचे। सुंदर सिंह को पकड़ कर ले जाने लगे तो पुलिस का आरोप है कि सुंदर सिंह के स्वजनों ने इन पर हमला कर दिया। पहले महिलाएं दोनों दारोगा पर झपटी फिर हाथापाई करने लग, इसके बाद उनके स्वजन भी आ गए। उन्होंने दोनों दारोगा से हाथापाई कर वारंटी सुरेंद्र सिंह को छुड़ा लिया। इस घटना में दारोगा राहुल वर्मा की वर्दी भी फाड़ दी।
पुलिस को यहां भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। इसके बाद थाने पहुंची पुलिस टीम के साथ घेराबंदी की गई। फोर्स को देखकर आरोपी भागने लगे। इस पर पुलिस ने वारंटी सुंदर सिंह, उसकी मां ओमवती, बहन कृष्णा, भाई कोमल और सुमित को हिरासत में ले लिया। इंस्पेक्टर डौकी जयनरायण सिंह ने बताया कि आरोपितों के विरुद्ध गाली गलौज, अभद्रता, वर्दी फाड़ने और सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस खुद पर हमला करने वालों को ही सजा नहीं दिला सकी। इससे पता चलता है कि पुलिस की कहानी फर्जी थी। पुलिस की चार्जशीट की न्यायालय में ट्रायल के दौरान धज्जियां उड़ गई। साक्ष्यों के अभाव में अपर जिला जज संजय के. लाल ने बलवा, पथराव, हत्या का प्रयास और सरकारी कार्य में बाधा के सभी नौ आरोपितों को बरी करने के आदेश दिए। पुलिस को भी हिदायत दी कि कहानियां ना बनाया करे। तमोलीपाड़ा में 14 मई, 2014 को मंटोला थाने की पुलिस अतिक्रमण हटाने गई थी। पुलिस के अनुसार लोगों ने घरों की छतों पर चढ़कर पथराव और फायरिंग कर दी थी। सद्दाम, इनायत, इमरान, मोहम्मद शाहरुख, मोहम्मद इरशाद, मोहम्मद वसीउद्दीन, मोहम्मद मुईनुद्दीन, दिलशाद और फरहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस घटनास्थल से ईंट, पत्थर, कांच के टुकड़े आदि बरामद कर न्यायालय में गवाह पेश करने में विफल रही।