खेलों के महाकुंभ पेरिस ओलंपिक से स्वदेश लौटे भारतीय खिलाड़ियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को मुलाकात की।

इससे पहले पीएम मोदी ने इन सभी को लाल किले पर हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित भी किया था। इस मौके पर पीएम ने पूरे भारतीय दल की प्रशंसा की और उन सबको ‘चैंपियन’ का तगमा दिया। खास तौर पर भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश की पीएम ने जमकर तारीफ की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीजेश की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘टीम उन्हें याद करेगी’। भारतीय पुरुष हॉकी टीम की दीवार कहे जाने वाले गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ अपने करियर का शानदार अंत किया।

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने आवास पर भारतीय पेरिस ओलंपिक दल से मुलाकात की। उन्होंने इस दौरान एथलीटों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं। श्रीजेश ने कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ मिलकर पीएम मोदी को अपनी मुलाकात के दौरान भारत की जर्सी और हॉकी भी भेंट की।

खिलाड़ियों से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने श्रीजेश के संन्यास के फैसले के बारे में पूछा, “श्रीजेश, क्या आपने पहले ही संन्यास लेने का फैसला कर लिया था?”

श्रीजेश ने जवाब में कहा, “मैं पिछले कुछ सालों से संन्यास लेने के बारे में सोच रहा था। मेरे साथी खिलाड़ी अक्सर मजाकिया अंदाज में पूछते थे, ‘तुम कब जा रहे हो?’ मैंने पहली बार 2002 में राष्ट्रीय शिविर में भाग लिया और 2004 में जूनियर स्तर पर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। तब से, मैं 20 वर्षों से अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं।”

“पेरिस ओलंपिक से पहले मुझे लगा लगा कि ओलंपिक जैसे भव्य मंच पर संन्यास लेना, जहां पूरी दुनिया एक साथ आती है, मेरे करियर को समाप्त करने का सबसे सही तरीका होगा। इसलिए मैंने इस मंच पर संन्यास लेने का फैसला किया था।”

प्रधानमंत्री ने श्रीजेश से कहा, “टीम आपको याद करेगी, और उन्होंने आपको शानदार विदाई दी है।”

श्रीजेश ने आगे कहा, “सेमीफाइनल हारने के बाद, टीम थोड़ी निराश थी। लेकिन जब हम आखिरी मैच के लिए मैदान पर उतरे, तो मेरे साथी एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाते रहे, कहते रहे, ‘हमें श्रीजेश भाई के लिए यह जीतना है।’ मैंने उस ओलंपिक पोडियम से उनका शुक्रिया अदा किया और हमारी जीत के बाद अपने संन्यास की घोषणा की।”

पेरिस में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के साथ ही भारतीय पुरुष टीम ने 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार हॉकी में लगातार दो पदक जीते और अपना कुल 13वां ओलंपिक पदक हासिल किया।

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