इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान में हालात कंट्रोल से बाहर दिख रहे हैं। पंजाब से लेकर खैबर पख्तूनख्वा तक में उनके समर्थकों ने जमकर बवाल काटा है। हालात को नियंत्रित करने के लिए इंटरनेट बंद है और सभी सोशल मीडिया ऐप्स को डाउन किया गया है। यही नहीं हालात इसके बाद भी नहीं सुधरे तो फिर पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में आपातकाल भी लग सकता है, जो हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं। पाकिस्तानी मीडिया में इस बात की चर्चा है। ‘द न्यूज’ रिपोर्ट के मुताबिक यदि राज्य सरकारें हालात संभाल नहीं पाईं तो फिर आपातकाल घोषित हो सकता है।
पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 232 में आपातकाल के प्रावधान का जिक्र है। इसके तहत यदि किसी सूबे में व्यवस्था खराब होती है और उसे राज्य सरकार संभाल नहीं पाती है तो फिर इमरजेंसी लग सकती है। हालांकि इसके लिए संबंधित राज्य की ओर से एक प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति भेजने की जरूरत है। इसके बाद प्रधानमंत्री की सलाह के बाद राष्ट्रपति आपातकाल पर फैसला लेते हैं। फिलहाल दोनों ही राज्यों में विधानसभा नहीं हैं और उन्हें भंग किया जा चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति खुद ही आपातकाल पर फैसला ले सकते हैं।
संविधान के अनुसार यदि राष्ट्रपति खुद ही फैसला लेते हैं तो फिर 10 दिनों के अंदर संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलना जरूरी है। आपातकाल के दौरान संसद के पास यह अधिकार होता है कि वह किसी भी राज्य के लिए जरूरी कानून बना सके। बता दें कि पाकिस्तान में इमरान खान समर्थकों का बवाल जारी है। पेशावर में पाकिस्तान रेडियो की इमारत में आग लगाना हो या फिर रावलपिंडी में सेना के मुख्यालय में घुसकर उपद्रव करना। इमरान खान के समर्थक किसी भी तरह से मानने को तैयार नहीं हैं। यही नहीं पेशावर में तो बुधवार को फायरिंग के दौरान 4 लोगों की मौत हो गई थी।
फिलहाल पीटीआई के समर्थकों पर शिकंजा कसना जारी है। पंजाब में 1000 इमरान खान समर्थकों को अरेस्ट किया गया है। इसके अलावा उनके करीबी नेताओं शाह महमूद कुरैशी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। फवाद चौधरी के घर पर पुलिस तैनात है। इमरान खान की गिरफ्तारी का सबसे ज्यादा असर लाहौर और उसके आसपास के इलाके में दिख रहा है। बता दें कि इमरान खान लाहौर में ही रहते हैं, जबकि वह मूल रूप से खैबर पख्तूनख्वा के रहने वाले हैं। उनका ताल्लुक नियाजी कबील से बताया जाता है, जो पख्तून ट्राइब का हिस्सा है।