पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को घेरने के लिए जल नीति के मोर्चे पर निर्णायक कदम उठाया है।  भारत ने अब पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीति, सुरक्षा और संसाधनों के स्तर पर चौतरफा मोर्चा खोल दिया है। जल को अब कूटनीतिक हथियार बनाकर, भारत अपने हितों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सिंधु जल संधि पर कार्रवाई के बाद अब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में  10 बड़े पनबिजली प्रोजेक्ट्स को तेज़ी से लागू करने  का फैसला किया है।

इन परियोजनाओं से पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी की मात्रा कम होगी और भारत में हजारों मेगावाट बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।सरकार ने संबंधित मंत्रालयों और एजेंसियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर निर्देश दिए हैं कि  बाधित या रुकी हुई परियोजनाओं को प्राथमिकता देकर  जल्द से जल्द क्रियान्वयन शुरू किया जाए। इन प्रोजेक्ट्स के लिए मंजूरी प्रक्रियाएं भी तेज कर दी गई हैं।
 

प्रमुख प्रोजेक्ट्स जिन पर काम शुरू हो चुका है या शुरू होने वाला है

  •  उरी-1 परियोजना का विस्तार।
  •  न्यू गांदरबल प्रोजेक्ट- सिंध नाला पर।
  •  किरठाई-2 परियोजना-चेनाब नदी पर।
  •  रामबन व उधमपुर जिलों में दो नए प्रोजेक्ट्स की तैयारी।

पाकिस्तान की बढ़ी चिंता 
इन सभी परियोजनाओं को मिलाकर लगभग  3100 मेगावाट बिजली उत्पादन  की संभावना है। इनमें से कुछ के टेंडर अगले सप्ताह जारी किए जा सकते हैं। भारत के इस जल दबाव से  पाकिस्तान की जीवनरेखा मानी जाने वाली नदियों  झेलम, सिंधु और चेनाब   पर असर होगा। सिंधु जल संधि को रोकने और जल रोकने की योजना के बाद पाकिस्तान को पीने के पानी और कृषि के लिए  भविष्य में गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है। सरकार की रणनीति अब स्पष्ट है सीमा पार से होने वाली आतंकी घटनाओं का जवाब  जल से, तकनीक से और कानून से  दिया जाएगा। दुर्गम इलाकों और सुरक्षा की चुनौतियों को भी देखते हुए इन प्रोजेक्ट्स के लिए विशेष तैनाती की योजना बनाई जा रही है।

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