राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि पश्चिमी सभ्यता व्यक्तिवाद को प्राथमिकता देती है जबकि भारतीय समाज परिवार को केंद्र में रखता है।
भाजपा विधायक अमीत सातम द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन के अवसर पर संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों पर विशिष्ट क्षेत्र में करियर बनाने की बात नहीं थोपनी चाहिए तथा संगीत या पाक कला जैसे शौक को आगे बढ़ाना भी उतना ही संतुष्टिदायक होगा।
भागवत ने बताया कि माता-पिता, विशेषकर उच्च शिक्षित पृष्ठभूमि वाले माता-पिता, अक्सर अपने बच्चों पर उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दबाव डालते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिमी संस्कृतियों में, व्यक्ति को मौलिक इकाई माना जाता है, जहां व्यक्तिवाद पर अधिक जोर रहता है। इसके विपरीत, हमारा समाज परिवार को केंद्र में रखता है। एक मजबूत परिवार इकाई एक मजबूत समाज का आधार बन सकती है। हमारे समाज का स्वरूप स्वाभाविक रूप से दूसरों की मदद करने वाला है।’’