सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संबंधी कानून को ‘शक्तिहीन’ बनाने के लिए बुधवार को केंद्र की खिंचाई की और कहा कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) अधिनियम के प्रावधानों को लागू नहीं किया जा रहा है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्ला और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 (सीएक्यूएम अधनियिम) कोट वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कानून के क्रियान्वयन को लेकर आवश्यक व्यवस्था किए बिना ही लागू कर दिया गया।
केंद्र की ओर पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐर्या भाटी ने कहा कि सीएक्यूएम अधिनियम की पराली जलाने के लिए जुर्माने से संबंधित धारा 15 के तहत जुर्माने पर दिशानिर्देश 10 दिन में जारी कर दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि एक निर्णायक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा और कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
भाटी ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब और हरियाणा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा कई राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए।
पीठ ने सीएक्यूएम से पूछा कि आपके नोटिस को कौन गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि कानून के तहत इसकी प्रक्रिया का प्रावधान नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘कृपया सीएक्यूएम के अपने अध्यक्ष से कहें कि इन अधिकारियों को बचाने का प्रयास नहीं करें। हम जानते हैं कि जमीनी स्तर पर क्या हो रहा है।’
भाटी ने कहा कि पंजाब के अमृतसर, फिरोजपुर, पटियाला, संगरूर, तरन तारन जैसे कई जिलों में पराली जलाने की 1,000 से अधिक घटनाएं हुई हैं।
शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को पराली जलाने के दोषी पाए गए उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकारों कींिखचाई की थी और राज्य के मुख्य सचिवों को स्पष्टीकरण के लिए 23 अक्टूबर को पेश होने को कहा था।
शीर्ष अदालत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक के संबंध में सीएक्यूएम की ओर से जारी निर्देशों को लागू करने के लिए पंजाब और हरियाणा सरकारों द्वारा कोई कदम नहीं उठाए जाने के कारण नाराज है।