न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक घोटाले की जांच में बड़ा मोड़ आया है. आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बैंक के वाइस चेयरमैन हीरेन भानु को भी इस मामले में आरोपी बनाया है. हालांकि, अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. वहीं, इस घोटाले के मुख्य आरोपी उल्हनाथन अरुणाचलम उर्फ अरुण की गिरफ्तारी के लिए इनाम घोषित कर दिया गया है.  

EOW के अनुसार, मामले में पहले गिरफ्तार किए गए बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर हितेश मेहता ने कबूल किया था कि उसने 122 करोड़ रुपये में से 40 करोड़ रुपये उल्हनाथन अरुणाचलम को दिए थे.  

EOW को भानु की भूमिका पर बढ़ा शक

शुक्रवार (28 फरवरी) को कोर्ट में गिरफ्तार आरोपी मनोहर अरुणाचलम, हितेश मेहता, धर्मेंद्र पौन और पूर्व सीईओ अभिमन्यु पौन को पेश किया गया. इस दौरान EOW ने कोर्ट को बताया कि उन्हें कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जो वाइस चेयरमैन हीरेन भानु की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं. जांच एजेंसी अब यह पता लगाने में जुटी है कि भानु को इस घोटाले के बारे में कितनी जानकारी थी और उनकी भूमिका क्या थी.  

सूत्रों के मुताबिक, घोटाले के मास्टरमाइंड हितेश मेहता ने पूछताछ में यह स्वीकार किया था कि उसने बैंक के एक बड़े अधिकारी को करोड़ों रुपये ट्रांसफर किए थे. हालांकि, इस अधिकारी का नाम अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है.

हितेश मेहता का लाई डिटेक्टर टेस्ट

जांच एजेंसी ने हितेश मेहता का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. EOW का दावा है कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और पैसे कैश में दिए जाने के कारण ट्रांजेक्शन का कोई डिजिटल रिकॉर्ड नहीं है. यही वजह है कि घोटाले के पैसों के सही इस्तेमाल का पता लगाने के लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट जरूरी हो गया है.  

EOW अब इस पूरे मामले में और भी बड़े नामों की संलिप्तता की जांच कर रही है. घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है.

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