राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में हुई गड़बड़ियों के रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। कुछ गड़बड़ियों को तो नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने सुप्रीम कोर्ट में मान भी लिया है पर, पेपर लीक के आरोपों को उसने सिरे से खारिज कर दिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तो साफ कह दिया है कि पेपर लीक जैसी कोई बात नहीं हुई है। दूसरी तरफ, बिहार में चल रही पुलिस जांच लगातार पेपर लीक की तरफ इशारा कर रही है। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) इस मामले की जांच कर रही है। ईओयू के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एनएच खान ने कहा कि ‘पेपर लीक होने के काफी संकेत मिले हैं। हमने नीट आयोजित कराने वाली एनटीए से कई सवाल पूछे थे। उनके जवाब आ गए हैं। इसके बाद कुछ और सवालों के जवाब हमें खोजने पड़ सकते हैं।’

खान ने कहा कि हमारी एसआइटी अब साक्ष्यों को पक्का करने के प्रयास कर रही है। यह पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं कि प्रश्न और उत्तर-पुस्तिकाएं किसने और कहां से प्राप्त कीं और वे परीक्षा केंद्रों तक कैसे पहुंचीं।’ आठ सदस्यीय एसआइटी का नेतृत्व ईओयू के पुलिस अधीक्षक (प्रशासन) मदन कुमार आनंद कर रहे हैं। एसआइटी ने एक संगठित अंतर-राज्यीय गिरोह के सदस्यों से कई उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड, पोस्ट-डेटेड चेक और प्रमाण पत्र जब्त किए गए थे। इससे पता चलता है कि उम्मीदवारों ने एक संगठित गिरोह को पैसे दिए थे। एसआइटी ने कहा कि ऐसे सबूत हैं जो बताते हैं कि नीट के बाद एक केंद्र पर प्रश्नपत्र जलाए गए थे, लेकिन यह पुष्टि करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि पेपर लीक हुआ था। इसकी जांच की जा रही है।
ईओयू के एक अधिकारी ने बताया, ‘इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से चार ऐसे अभ्यर्थी हैं जिन्होंने नीट की परीक्षा दी थी। बाकी उनके माता-पिता और संगठित गिरोह के सदस्य हैं, जिन्होंने कथित तौर पर एक स्कूल में परीक्षा से पहले 35 अभ्यर्थियों को इकट्ठा किया और एक डमी परीक्षा आयोजित की। कथित तौर पर उन्हें वहां उत्तरों के साथ नीट प्रश्नपत्र प्राप्त हुआ।’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि उस स्कूल से कथित रूप से जले हुए प्रश्नपत्रों के कुछ अवशेष बरामद किए गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में से एक, गया निवासी नीतीश कुमार को बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा के कथित पेपर लीक मामले में पहले भी गिरफ्तार किया गया था। यह परीक्षा 15 मार्च को आयोजित की गई थी।

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