केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी देश के उन कुछ चुनिंदा नेताओं में से हैं जोकि स्पष्टता के साथ अपनी बात सबके सामने रखते हैं और अपने काम के बलबूते हर राजनीतिक दल के भीतर सराहे जाते हैं। नितिन गडकरी देश के उन कुछ चुनिंदा नेताओं में से भी हैं जिन्होंने पिछले 11 सालों से अपने काम के जरिये जनता का विश्वास जीता है। केंद्रीय मंत्री होने के नाते नितिन गडकरी ने देशभर के राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति में तो उल्लेखनीय सुधार किया ही है साथ ही वह सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी प्रखरता से लड़ाई लड़ते हैं। देखा जाये तो एक ओर जहां नेताओं के बीच धर्म और जाति के आधार पर राजनीति करने की होड़ रहती है वहीं गडकरी धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने वालों के सख्त खिलाफ रहते हैं भले ही इससे उनको कितना भी राजनीतिक नुकसान हो जाये।

अपने ताजा बयान में भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जाति आधारित राजनीति के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, भाषा या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने नागपुर स्थित ‘सेंट्रल इंडिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस’ में आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जो करेगा जात की बात, उसको कसके मारूंगा लात’’। गडकरी ने कहा कि उनका मानना है कि कोई भी व्यक्ति अपनी जाति, धर्म, भाषा या पंथ के कारण बड़ा नहीं होता बल्कि वह अपने गुणों के कारण बड़ा होता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हम किसी के साथ उसकी जाति, धर्म, लिंग या भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं।’’

गडकरी ने कहा, ‘‘मैं राजनीति में हूं और बहुत-सी चीजें होती हैं लेकिन मैं अपने तरीके से चलता हूं। अगर कोई मुझे वोट देना चाहता है तो दे सकता है और अगर कोई नहीं देना चाहता तो वह ऐसा करने के लिए भी स्वतंत्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दोस्त मुझसे पूछते हैं कि तुमने ऐसा क्यों कहा या ऐसा रुख क्यों अपनाया। मैं उनसे कहता हूं कि चुनाव हारने से कोई खत्म नहीं हो जाता। मैं अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करूंगा और निजी जीवन में उनका पालन करता रहूंगा।’’ गडकरी ने समाज और देश के विकास के लिए शिक्षा के महत्व पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि कई वर्ष पहले जब वह विधायक थे तो उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक मुस्लिम शिक्षण संस्थान को इंजीनियरिंग कॉलेज दिलाने में मदद की थी। गडकरी ने बताया कि उनके इस फैसले पर सवाल खड़े किए गए। उन्होंने कहा, “जिस वर्ग को शिक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है वह मुस्लिम समुदाय है।’’ गडकरी ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के शब्दों को दुनिया के हर व्यक्ति ने सुना है। उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई व्यक्ति अपनी जाति, धर्म, लिंग या भाषा से ऊपर उठ जाता है तो वह महान बन जाता है।”

हम आपको बता दें कि गडकरी अक्सर अपनी स्पष्टवादिता के चलते अपने ही दल भाजपा के नेताओं के निशाने पर भी आ जाते हैं। पिछले दिनों उन्होंने यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि एक बार एक नेता ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल होने पर उन्हें समर्थन देने की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया था कि उनकी ऐसी कोई लालसा नहीं है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह प्रस्ताव देने वाला कौन था। हम आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनावों के समय जब भाजपा की पहली सूची में नितिन गडकरी का नाम नागपुर से नहीं घोषित किया गया था तब उद्धव ठाकरे समेत विपक्ष के तमाम नेताओं ने सार्वजनिक रूप से गडकरी को प्रस्ताव दिया था कि वह उनकी पार्टी से चुनाव लड़ें। हालांकि गडकरी ने वह प्रस्ताव ठुकरा दिया था और अपनी पार्टी की सूची में अपना नाम आने का इंतजार किया था।

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