नई दिल्ली। रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया जाएगा, जिसको लेकर पूरी तैयारी कर ली है। लेकिन तमाम तैयारियों के बीच देश में पूरा विपक्ष एकजुट होकर नए संसद भवन के उद्घाटन का जमकर विरोध कर रहा है। इन सब के बीच कोई एक विपक्षी नेता है जिसके सुर बदले- बदले नजर आ रहे हैं। दरअसल दिल्ली में संसद भवन के उद्घाटन को लेकर मायावती ने एक बार फिर से सियासी गुगली खेल दी है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने वाले उद्घाटन का न सिर्फ समर्थन किया है, बल्कि उद्घाटन को भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का हक भी बताया है। विपक्षी दलों को एकजुट करने वाले अलग-अलग राजनैतिक दलों के नेताओं के लिए मायावती का इस तरह खुलकर समर्थन करना सियासी झटके जैसा माना जा रहा है, लेकिन मायावती ने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में बात करके और कार्यक्रम में शिरकत करके जो सियासी गुगली फेंकी है, अब उसके राजनीतिक गलियारों में मायने तलाशे जा रहे हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर सियासत की पिच पर ऐसी गुगली फेंकी है, जिसे लेकर अब तमाम राजनीतिक दल अलग-अलग तरीके के कयास लगा रहे हैं। मायावती ने संसद भवन के उद्घाटन पर मचे सियासी घमासान को अपनी पार्टी की तरफ से एक ऐसे बयान दिया है, जिसे अब राजनीतिक गलियारों में आगे बढ़ाया जा रहा है। मायावती ने गुरुवार को अपने बयान में कहा कि जिस सरकार ने इस नए संसद भवन को बनवाया है। इसलिए उसके उद्घाटन का हक भी उसका ही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी देश और जनहित के मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उसका समर्थन करती आई है। 28 मई को होने वाले संसद भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी दलगत राजनीतिक नजरिए से ऊपर उठते हुए न सिर्फ इसका स्वागत करती है, बल्कि बीजेपी की सरकार की ओर से बनवाए गए इस नए संसद भवन उद्घाटन समारोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किए जाने का स्वागत करती है, लेकिन अपनी व्यस्तताओं के चलते मायावती ने इस कार्यक्रम में शिरकत न करने का भी जिक्र किया है।
मायावती की सियासी गुगली पर राजनीतिक विश्लेषकों का क्या कहना
मायावती की ऐसी सियासी गुगली पर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती भाजपा का खुलकर विरोध दूसरे विपक्षी पार्टियों की तरह नहीं करती हैं। राजनैतिक विश्लेषकों की माने तो ये मायावती की शुरुआत से स्ट्रेटजी रही है कि वो केंद्र में बैठे किसी भी सत्तासीन पार्टी का उतनी मुखर तरीके से विरोध नहीं करती है, जितना कि देश की दूसरी बड़ी पार्टियां करती हैं। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि सियासत के मैदान में बसपा- भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ती हैं। इस राजनीतिक लड़ाई में वो कसी हुई फील्डिंग भी सजाती है, लेकिन बीते कुछ चुनावों में जिस तरीके से मायावती की पार्टी का कोर वोट बैंक भारतीय जनता पार्टी में शिफ्ट होना शुरू हुआ है, तब से मायावती भारतीय जनता पार्टी पर उतना आक्रामक नहीं रह रही हैं। इसके पीछे की वजह क्या है ये तो मायावती ही बता सकती है, लेकिन राजनैतिक विश्लेषक कहते हैं कि मायावती जितना ज्यादा भारतीय जनता पार्टी पर आक्रामक होंगी, भारतीय जनता पार्टी उसी तेजी से उनके वोट बैंक में और जबरदस्त से सेंधमारी करेगी।
BSP अध्यक्ष ने लोकसभा चुनावों से पहले अपना सॉफ्ट कॉर्नर किया तैयार
अब नई संसद के उद्घाटन मामले में मायावती के इस बयान को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मायावती ने भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बार फिर से लोकसभा चुनावों से पहले अपना सॉफ्ट कॉर्नर तैयार कर लिया है। हालांकि इस बारे में बहुजन समाज पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि मायावती के इस बयान को देशहित से और संवैधानिक प्रक्रिया के लिहाज से देखा जाना चाहिए। अब देखना होगा की आने वाले वक्त में इस बयान के क्या असल मायने हैं, क्योंकि आने वाले वक्त में लोकसभा चुनाव सबसे ज्यादा अहम है और यूपी में तो सबसे ज्यादा लोकसभा सीट भी है। अब अगर मायावती अभी से बीजेपी की तरफ दिखाई देगी तो विपक्ष का क्या होगा।