दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को 2010 के धौला कुआं गैंगरेप मामले के पांच दोषियों में से एक शाहिद उर्फ ​​बिल्ली की अपील पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। यह मामला 23 नवंबर 2010 को मोती बाग से एक बीपीओ कर्मचारी को मेवाती गिरोह द्वारा मिनी ट्रक में अगवा कर सामूहिक बलात्कार करने से जुड़ा है। गैंगरेप के बाद उसे मंगोलपुरी इलाके में फेंक दिया गया था। पांचों आरोपियों को 2014 में दोषी ठहराया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में उनकी सजा बरकरार रखी थी। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में अपील पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। हाईकोर्ट ने संबंधित जेल अधिकारियों से भी नाममात्र की भूमिका मांगी है। 

पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता लगभग 13 वर्षों से बिना किसी छूट के जेल में बंद है। अपील को 29 जुलाई को रोस्टर बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है। इस बीच, हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता शाहिद को कल अपनी छुट्टी की समाप्ति पर आत्मसमर्पण करने से छूट दे दी है, क्योंकि उसकी नाबालिग बेटी कैंसर से पीड़ित है। उसे सरकार द्वारा छुट्टी दी गई थी। उसने उसी अवधि को बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने उसकी बेटी की तस्वीरों और मेडिकल दस्तावेजों का भी अवलोकन किया। याचिकाकर्ता को छुट्टी की समाप्ति पर कल आत्मसमर्पण करना है। अगर वह आवेदन करता है, तो इसमें काफी समय लगेगा।

हाईकोर्ट ने 11 जून को आदेश दिया, उसने बिना किसी छूट के लगभग 13 साल जेल में बिताए हैं और इस मामले की विशिष्ट परिस्थितियों के कारण, यह आवेदन स्वीकार किया जाता है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को सरेंडर करने से छूट दी जाती है। यह स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में दिया गया है। इसे मिसाल नहीं माना जाना चाहिए। द्वारका कोर्ट ने 14 अक्टूबर 2014 को शमशाद उर्फ ​​खुटकन, उस्मान उर्फ ​​काले, इकबाल उर्फ ​​बिल्ली, शाहिद उर्फ ​​बिल्ली और कमरुद्दीन उर्फ ​​कमरू को दोषी करार दिया था।

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