मोदी सरकार ने भिक्षावृत्ति मुक्त भारत का लक्ष्य पूरा करने के लिए कार्य योजना तैयार कर ली है। इसके तहत भिक्षावृत्ति में जुटे वयस्कों, महिलाओं, बच्चों के सर्वेक्षण और पुनर्वास के लिए धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण 30 शहरों की सूची तैयार की गई है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय का लक्ष्य हॉटस्पॉट की पहचान करने और 2026 तक इन शहरों को भिक्षावृत्ति से मुक्त बनाने में जिला और नगर निगम अधिकारियों का सहयोग करना है।

30 शहरों का किया गया चयन

धार्मिक स्थल : अयोध्या, ओंकारेश्वर, कांगड़ा, सोमनाथ, उज्जैन, बोधगया, त्र्यंबकेश्वर, पावागढ़, मदुरै, गुवाहाटी।
पर्यटन स्थल : जैसलमेर, तिरुवनंतपुरम, विजयवाड़ा, कुशीनगर, सांची, केवडिया, श्रीनगर, नामसाई, खजुराहो, पुड्डुचेरी।
ऐतिहासिक स्थल : उदयपुर, कटक, इंदौर, वारंगल, तेजपुर, कोझिकोड, अमृतसर, मैसूरु, पंचकूला, शिमला।


तीस शहरों में से 25 ने फीडबैक भेज दिया है। कांगड़ा, कटक, उदयपुर और कुशीनगर से फीडबैक मिलना बाकी है। मध्य प्रदेश के सांची के अधिकारियों ने बताया है कि इस क्षेत्र में एक भी भिखारी नहीं है। इसके बाद सांची की जगह किसी और शहर को सूची में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। कोझिकोड, विजयवाड़ा, मदुरै और मैसूरु ने पहले ही सर्वेक्षण पूरा कर लिया है।

रकार 2015 में शुरू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर शहरी गरीबों के लिए नई किफायती आवास योजना ला सकती है। योजना की घोषणा आम चुनावों से पहले किए जाने की संभावना है। इसके तहत शहरों और उनके आसपास के इलाकों के निम्न एवं मध्यम आय वाले परिवारों को मकानों के लिए ऋण सब्सिडी दी जाएगी। आवास-शहरी मामलों का मंत्रालय प्रस्तावित ऋण सब्सिडी योजना तैयार करने के लिए देश के शीर्ष ऋणदाताओं के साथ बैठकें कर चुका हैं। बैठकों में शामिल अधिकारियों के मुताबिक मंत्रालय ने संकेत दिया है कि योजना के तहत ऋण सब्सिडी का हिस्सा पिछली बार की तरह अधिक नहीं होगा। सरकार ने पूछा है कि योजना के लिए ऋणदाताओं को कितनी रीफाइनेंसिंग की जरूरत होगी और ब्याज दर क्या रहेगी? सरकार का कहना है कि योजना गरीबों के लिए है, इसलिए ऋणदाताओं को ऊंचा मुनाफा नहीं लेना चाहिए।

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