वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर राजनीति अपने उफान पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्र सरकार के तमाम मंत्री इसके फायदे गिना रहे हैं साथ ही भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर देशभर में जन-जागरण अभियान चलाकर मुस्लिमों को बता रही है कि कैसे यह अधिनियम वक्फ में सुधार करेगा और गरीब मुस्लिमों का भला करेगा। दूसरी ओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दिल्ली में ‘वक्फ बचाओ संविधान बचाओ’ कार्यक्रम आयोजित कर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया कि वह मुसलमानों की जमीनें छीनना चाहती है। ऐसे ही आरोप कुछ अन्य मुस्लिम संगठन भी अपने विरोध प्रदर्शनों के दौरान मोदी सरकार पर लगा रहे हैं। मामला चूंकि अब अदालत में है इसलिए देखना होगा कि सर्वोच्च न्यायालय क्या फैसला सुनाता है। इस बीच, यह मुद्दा देशभर में चर्चा का हॉट टॉपिक बना हुआ है। कोई इसके फायदे गिना रहा है तो कोई इससे होने वाले नुकसान के प्रति आगाह कर रहा है। सरकार के लोग जहां अपने आप को गरीब मुसलमानों का सबसे बड़ा और सच्चा हितैषी साबित करने का प्रयास कर रहे हैं वहीं दशकों से अपने संगठनों के माध्यम से मुस्लिम वोट बैंक की सियासत करते रहे लोग जगह-जगह सम्मेलन और बैठकों का आयोजन कर मुस्लिमों के मन में भय पैदा कर रहे हैं।

मोदी सरकार के मंत्रियों के ताजा बयानों की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू आज मुंबई में ‘वक्फ सुधार जनजागरण’ अभियान में शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिजिजू ने कहा, “पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जो हालत उन्होंने पैदा किये हैं, मुख्यमंत्री, कांग्रेस और उनकी पार्टी के सहयोगी जो भी कहते हैं कि वे संसद द्वारा बनाए गए कानून को नहीं मानेंगे, वे देश के संविधान को नहीं मानते। उन्होंने कहा कि हम 2014 में पहली बार मंत्री बने, हमने सारी जिंदगी विपक्ष में बैठकर काम किया है लेकिन हमने कभी नहीं कहा कि हम संसद के कानून को नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि ये लोग जो काम कर रहे हैं, उससे देश को बहुत नुकसान होने वाला है और उन्हें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुसलमानों में भी एक बड़ा वर्ग अब आकर प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दे रहा है। रिजिजू ने कहा कि हमें ये नहीं कहना चाहिए कि सभी मुसलमान विरोध कर रहे हैं। इस समय आम मुसलमान वक्फ संशोधन अधिनियम का समर्थन कर रहा है और इसका स्वागत कर रहा है।

वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “कई लोग बोल रहे हैं कि ये संविधान के अनुसार बिल नहीं है और संसद को बिल पास करने का अधिकार नहीं है। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि 1954 में वक्फ संशोधन विधेयक को संसद ने ही पास किया था और संविधान के प्रावधान के तहत किया।” उन्होंने कहा कि 1995 में वक्फ संशोधन बिल आया और एक्ट बना… 2013 में भी ऐसा ही हुआ। PM नरेंद्र मोदी जब बिल लेकर आए तब आपको संविधान के प्रावधान याद आ रहे हैं तब क्यों नहीं याद आए? उन्होंने कहा कि इसका मतलब है अभी जो एक्ट पास हुआ है वह संविधान के अनुसार हुआ है और संसद को उसका अधिकार है।

वहीं बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि वक्फ अधिनियम में बदलाव की लंबे समय से जरूरत थी, क्योंकि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का निजी लाभ के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। पटना में ‘ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट’ की एक सभा को संबोधित करते हुए खान ने कहा, ‘‘पहले वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का इस्तेमाल गरीबों के लाभ के लिए किया जाता था। लेकिन अब इन संपत्तियों का धर्मार्थ उद्देश्यों के इस्तेमाल करने के बजाय निजी लाभ के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि पटना में कई वक्फ बोर्ड हैं, लेकिन उनमें से एक भी ऐसा नहीं है जो बेसहारा लोगों की मदद के लिए अनाथालय या अस्पताल संचालित कर रहा हो। राज्यपाल ने कहा, ‘‘पटना में वक्फ के कई भूखंडों में अब मॉल और आवासीय परिसर जैसे वाणिज्यिक प्रतिष्ठान हैं…इसलिए, वक्फ (संशोधन) अधिनियम में बदलाव काफी समय से लंबित थे।’’ इससे पहले, खान ने कहा था कि वक्फ बोर्ड के कामकाज में काफी सुधार की जरूरत है और संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक इस दिशा में एक ठोस कदम है।

दूसरी ओर, मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को “असंवैधानिक” और “पक्षपातपूर्ण” बताते हुए कहा कि अधिनियम हितधारकों की आपत्तियों की अनदेखी और धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है। संगठन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कड़ी निंदा करते हुए इसे असंवैधानिक, अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण करार देता है। इसके मुताबिक, यह अधिनियम हितधारकों की आपत्तियों की अनदेखी करता है, धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है तथा संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी नेतृत्व में संगठन की प्रतिनिधि सभा की बैठक में वक्फ, यूसीसी, सांप्रदायिक तनाव, आर्थिक अन्याय और फलस्तीन की स्थिति समेत कई मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किए। बयान के मुताबिक, बैठक में “बढ़ती सांप्रदायिक नफरत, सरकार के समर्थन से मुस्लिम संपत्तियों में तोड़फोड़ की कार्रवाई करना, शांतिपूर्ण इबादत में व्यवधान और मस्जिदों व मदरसों पर हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।”

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