भोजपुरी-हिंदी फिल्मों के अभिनेता एवं सांसद रवीन्द्र शुक्ला उर्फ रवि किशन ने दावा किया है कि 4 जून को जब लोकसभा चुनाव का परिणाम आएगा, तब आधा दर्जन से अधिक विपक्षी दलों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। भोजपुरी फिल्म जगत में शुक्ला ‘रवि किशन’ के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने 2014 में जौनपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये थे। वह गोरखपुर से 2019 में भाजपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए थे और पार्टी ने इस बार भी उन्हें इस सीट से उम्मीदवार बनाया है। विपक्ष यह कहकर रवि किशन पर निशाना साधता रहा है कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं रहते और बाहरी हैं। भाजपा नेता ने एक न्यूज एजेंसी के साथ विशेष साक्षात्कार में इन आरोपों को खारिज करते हुये कहा कि मैं पांच साल अपने आवास पर गोरखपुर में ही रहा हूं। मुंबई की राजशाही जिंदगी छोड़कर यहां जनता की सेवा कर रहा हूं।
संसदीय क्षेत्र में मिल रही चुनौती के सवाल पर भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता ने कहा कि जहां गरीबों का कल्याण हो, वहां किस तरह की चुनौती होगी? मैं गांव का लड़का हूं और पांच साल से लोगों की सेवा कर रहा हूं। सत्य और रामराज्य के समक्ष कोई चुनौती नहीं होती।” रवि किशन ने मेज थपथपाते हुए कहा कि आप देख लेना, चार जून को…ये जो विपक्षी दल हैं, वे मुंह की खाने वाले हैं। आधे दर्जन से अधिक दलों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाएगी। उन्होंने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि विपक्षी (दल) चाहते हैं कि शरिया (इस्लामिक कानून) से देश चले, ऐसा नहीं हो सकता, देश तो बाबा साहब आंबेडकर के संविधान से ही चलेगा। वचन देता हूं कि संविधान से कोई छेड़खानी नहीं होगी। कांग्रेस जरूर संविधान में तोड़-मरोड़ करना चाहती है। गोरखपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) उम्मीदवार और अभिनेत्री काजल निषाद आरोप लगाती रहीं हैं कि रवि किशन क्षेत्र में नहीं रहते और वह बाहरी हैं।
काजल ने हाल में एक चुनावी सभा में कहा था कि आपके सांसद बाहरी हैं, वे क्षेत्र में नहीं रहते जबकि मैं 14 वर्ष से लगातार आपकी सेवा कर रही हूं और भौवापार (गोरखपुर जिले का एक गांव) की बहू हूं। वह बाहरी हैं, मैं आपके घर की हूं।” इस बारे में रवि किशन ने कहा कि मैं यहीं (गोरखपुर के एक गांव) मामखोर का हूं, यही हमारी मिट्टी है और मेरी जड़ें यहीं की हैं।” काजल का नाम लिए बगैर उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग चुनाव में बार-बार यहां आते हैं, हारते हैं, भोले-भाले निषाद लोगों से चंदा लूटते हैं और चले जाते हैं।” काजल निषाद को 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन चुनाव हारने के बाद वह समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गयीं। सपा ने 2022 में काजल को गोरखपुर जिले की कैम्पियरगंज सीट से उम्मीदवार बनाया और इसके बाद 2023 में नगर निगम के चुनाव में गोरखपुर से महापौर का उम्मीदवार बनाया, लेकिन वह दोनों चुनाव हार गयीं।
रवि किशन ने बेहद आक्रामक लहजे में कहा कि इन लोगों का काम चंदा लूटने आना है। ये लोग कोरोना काल में कभी नहीं दिखे। कोरोना में गांव-गांव में मास्क लगाकर हम संसाधन बांटते थे।” एक सवाल के जवाब में रवि किशन ने अपनी उपलब्धियां और कार्यों को गिनाते हुए कहा, ”इनके (काजल निषाद) नेता अखिलेश यादव राजकुमार हैं, विदेश में रहे हैं, विदेशी मानसिकता के लोग हैं। तुष्टीकरण और जाति की राजनीति करते हैं। दूसरी तरफ हमारे नेता कर्मठ (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी जी और (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) योगी (आदित्यनाथ) जी जैसे लोग हैं, जो जनता की सेवा करते हैं।” जब यह पूछा गया कि आपके वोट पाने का आधार क्या है, उन्होंने कहा, ”हम मेहनत करके जनता का आशीर्वाद पाते हैं, जैसे हमारी मेहनत से जनता ने हमें ‘सुपरस्टार’ बनाया, उसी तरह हम मेहनत करके वोट लाते हैं, हम जातियों का बंटवारा करके वोट नहीं लाते।”
उन्होंने दावा किया कि जिस तरह से पांच साल से वह यहां लगातार मौजूद हैं, वह जनता को बहुत भा रहा है। हालांकि उन्होंने अपनी जीत का सारा श्रेय मोदी और योगी को दिया। रवि किशन की प्रतिद्वंद्वी अक्सर यह आरोप लगातीं हैं कि उनसे (रवि किशन) उनकी सांसद निधि के बारे में पूछने पर वह जवाब देने की बजाय ‘‘हर हर महादेव” करने लगते हैं। इस संबंध में सवाल किए जाने पर रवि किशन ने सांसद निधि से कराये गये कार्यों को गिनाया। भाजपा प्रत्याशी ने कहा, ”गोरखपुर में 2004 में हमने पहली बार शूटिंग की और भोजपुरी उद्योग लगाकर एक लाख लोगों को रोजगार दिया। वे एक नौकरी तक नहीं दे सकते।” गोरखपुर में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा जहां रवि किशन और काजल निषाद के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के जावेद सिमनानी मैदान में हैं।