मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर  जिले में मंगलवार को एक दहेज लोभी दूल्हे को दहेज में ट्रैक्टर  की मांग करना उस समय भारी पड़ गया, जब दुल्हन  पक्ष के लोगों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर पूरी बारात को ही बंधक बना लिया। जिसके बाद घटना की सूचना पर स्थानीय पुलिसभी मौके पर पहुंची और फिर दोनों पक्षों के बीच फैसले को लेकर पंचायत  बैठ गई। लेकिन देर शाम तक इस मामले में कोई भी फैसला नहीं हो सका था।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शामली जनपद के भैसानी इस्लामपुर गांव निवासी मीर हसन के बेटे वसीम का निकाह मुजफ्फरनगर जनपद के चरथावल थाना क्षेत्र स्थित ग्राम कुल्हाड़ी कि मेहसर खातून के साथ मंगलवार को होना तय हुआ था। जिसके चलते दूल्हा वसीम अपनी बारात लेकर कुल्हाड़ी गांव में पहुंचा था लेकिन निकाह से ठीक पहले दुल्हन पक्ष के लोगों ने अचानक से दूल्हे सहित पूरी बारात को बंधक बना लिया।

बताया जा रहा है कि बारात से 1 दिन पहले दूल्हे पक्ष के लोगों ने दहेज में ट्रैक्टर की मांग करी थी। जिसको लेकर दुल्हन पक्ष के लोगों ने मंगलवार को आई बारात को ग्रामीणों के साथ मिलकर बंधक बना लिया था। बारात बंधक की सूचना पर स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंची लेकिन इससे पहले ही फैसले को लेकर गांव में पंचायत शुरू हो गई थी। जिसमें दुल्हन पक्ष के लोगों ने जहां दहेज और शादी की तैयारी में 1200000 रुपए का खर्च होने की बात कहते हुए पैसों की मांग करी थी तो वहीं ट्रैक्टर की मांग के बाद दुल्हन ने भी इस दहेज लोभी दूल्हे से निकाह करने से साफ-साफ इंकार कर दिया।

वहीं इस मामले में दुल्हन के चाचा इकबाल ने बताया कि हमने रिश्ता करा था अपनी भतीजी का भैसाना गांव में। लड़के के बाप का नाम है मीर हसन। उसने 24 घंटे पहले ट्रैक्टर की मांग कर दी थी, उसके बाद हमने बारात को खाना खिला दिया। इसके बाद हमने दूल्हे को बिठा लिया। हमने कहा ट्रैक्टर ले जा निकाह नहीं करते, हम जब इसे जरूर ट्रैक्टर की है तो हम इसे ट्रैक्टर दे रहे हैं। अब हमने इनको यहीं पर ही रोका हुआ है, अब इन्हें पूरे गांव ने बंधक बना रखा है। अब पूरा गांव इस चीज को कह रहा है कि यह ट्रैक्टर ले जा अपना या अपना जो है यहां हिसाब कर दे जो हमारा खर्चा हुआ है। अब जो मांग है वह गांव वालों की है, जो फैसला गांव वाले करेंगे हम उसमें तैयार है दोनों गांव के आदमी आए हुए हैं।

आपको बता दें कि देर शाम तक भी इस मामले को लेकर दोनों पक्षों के बीच फैसले को लेकर पंचायत का दौर जहां बदस्तूर चलता रहा तो वहीं इस मामले में कोई लिखित शिकायत ना मिलने पर अधिकारियों ने भी फिलहाल अपनी चुप्पी साध रखी है।

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