दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी हर स्तर प्रदूषण मुक्त करने के लिए एक मुहिम चला रही है। इसकी अहम वजह भी साफ है। दरअसल, यमुना को साफ करना दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की सबसे बड़ी प्राथमिकता में है। वर्ष 2021 से सीएम केजरीवाल के छह सूत्रीय एक्शन प्लान पर दिल्ली सरकार के प्रयास जारी हैं। लक्ष्य अगले दो साल के भीतर यमुना की पूरी तरह स्वच्छ बनाने का है।

दिल्ली में सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों की क्षमता बढ़ाने, दिल्ली में मुख्य गंदे नालों को ट्रैप कर वहीं साफ करने, हर घर को सीवर का कनेक्शन देकर सीवर नेटवर्क से जोड़ने, झुग्गी झोपड़ी के सीवर को नालियों में बहाने से रोकने व सीवर से जोड़ने और सीवर की डिसिल्टिंग को मजबूत करने की दिशा में यु्द्ध स्तर पर कार्य हो रहा है।

युमना में गंदगी की अहम वजह नाले हैं, जिसमें दूषित जल प्रवाहित होता है। लेकिन अब दिल्ली सरकार ने दूषित जल यमुना में प्रवाहित होने पर रोक लगा दी है। अब बिना एसटीपी में ट्रीटमेंट किए पानी की नदी में नहीं छोड़ा जा सकता है। दिल्ली सरकार की वाटर ट्रीटमेंट की एक बड़ी व्यवस्था है, जिसका असर अब यमुना में दिखने लगा है।

यमुना की सफाई को लेकर आयोजित ‘यमुना संसद’ में यमुना की स्वच्छता और सौंदर्य को पुनर्थापित करने के लिए एकजुटता दिखाई गई। दिल्ली के जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने यमुना को साफ सुथरा और स्वच्छ बनाए रखने की शपथ ली। इसके अलावा दिल्ली की जनता से चर्चा के साथ-साथ कालिंदी कुंज यमुना घाट के किनारे एक ह्यूमन चेन बनाई गई। जिसमें नदी की स्वच्छता को लेकर एकजुटता दिखाई गई।

दिल्ली सरकार यमुना हालांकि साल 2014 में केवल 220 अनाधिकृत कालोनियों में ही सीवर लाइन डली थी। पहले सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों में करीब 350 एमजीडी सीवेज साफ हुआ करता था, लेकिन अब 832 अनाधिकृत कॉलोनियों में सीवर लाइन पड़ चुकी है। बिना ट्रीटमेंट के यमुना में नहीं छोड़ा जाता। जबकि दिल्ली सरकार के प्रयास से अब ट्रीटमेंट क्षमता बढ़कर 550 एमजीडी हो चुकी है।

2025 तक दिल्ली में एसटीपी की क्षमता बढ़कर करीब 900 एमजीडी हो सकती है। जिसके बाद दिल्ली की कॉलोनियों का सीवेज सीधे सीधे यमुना में नहीं गिरेगा, बल्कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट होगा। दिल्ली सरकार का साल 2025 तक यमुना को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य है। जिसके तहत तेजी से प्रयास जारी हैं।

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