राष्ट्रीय राजधानी में शस्त्र लाइसेंस रखने वाले लोगों में महज दो फीसदी महिलाएं शामिल हैं, जिनमें से ज्यादातर या तो खेल क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं या फिर जिन्हें यह विरासत में मिला है। दिल्ली पुलिस के लाइसेंस विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि शहर के 15 पुलिस जिलों में 41,600 लोगों के पास शस्त्र लाइसेंस हैं और इनमें से 888 महिलाएं हैं। पुलिस उपायुक्त (लाइसेंसिंग) बिस्मा काजी ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दायर एक आवेदन पर जानकारी दी है। पहले विभाग में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, ‘‘हम किसी आवेदक के लिंग के आधार पर कानून के तहत लाइसेंस देने में कोई खास छूट नहीं देते हैं। चाहे पुरुष हो या महिला, हम यह विश्लेषण करते हैं कि क्या उसकी जान को वास्तव में खतरा है और उसी के बाद हम लाइसेंस जारी करते हैं।” उन्होंने कहा कि शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन देने वाली महिलाओं की संख्या बहुत कम है। आंकड़ों का हर जिले के अनुसार विश्लेषण करने से पता चला है कि कई पॉश कॉलोनी वाले दक्षिण पुलिस जिले में सबसे ज्यादा 264 महिलाओं के पास शस्त्र लाइसेंस हैं। इस जिले में सबसे ज्यादा 7,161 लाइसेंस धारक पुरुष और महिलाएं हैं।

पुलिस की शस्त्र लाइसेंस इकाई के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, ‘‘इन इलाकों में कई जाने-माने लोग रहते हैं और उनमें से कुछ को विभिन्न कारणों से सच में जान का खतरा होता है। इसके अलावा, कुछ महिला निशानेबाज भी यहां रहती हैं और इसलिए यह संख्या थोड़ी ज्यादा है।” नई दिल्ली पुलिस जिले में 138 महिलाओं के पास शस्त्र लाइसेंस हैं। यह जिला जारी होने वाले कुल लाइसेंस (3,972) के लिहाज से भी दूसरे स्थान पर है। दक्षिण-पश्चिम पुलिस जिला तीसरे स्थान पर है और वहां 103 महिलाओं समेत कुल 3,879 लोगों के पास शस्त्र लाइसेंस हैं। सेवानिवृत्त अधिकारी ने दावा किया, ‘‘दक्षिण-पश्चिम जिले में पूर्व में कई गिरोहों के बीच झड़प हुई है और इन झड़पों में कई महिलाओं ने अपने पति को खोया है।” अधिकारी ने कहा कि ‘‘इनमें से कुछ को सच में जान का खतरा है, क्योंकि उनके पति किसी न किसी गिरोह से जुड़े हुए थे।”

उन्होंने दावा किया, ‘‘इसलिए वे शस्त्र लाइसेंस की मांग करती हैं और हम उन्हें जारी करते हैं। इसलिए आपको इस जिले में संख्या अधिक मिल सकती है।” शस्त्र लाइसेंस रखने वाली 888 महिलाओं के प्रोफाइल के बारे में बात करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘इन लाइसेंस धारकों में एक वर्ग महिला निशानेबाजों का है। फिर वे महिलाएं हैं, जिन्हें अपने परिवार के पुरुष सदस्यों की मौत के बाद ये लाइसेंस मिले। फिर तीसरी श्रेणी अकेली रह रही और कामकाजी महिलाओं की है। इनमें से कुछ राजनीतिक घरानों से आती हैं।”

हरियाणा में राजनेताओं से करीबी संबंध रखने वाली एक महिला चिकित्सक ने कहा, ‘‘मेरे काम के घंटे काफी अनियमित हैं और मुझे अक्सर बेवक्त अस्पताल आना-जाना होता है। इसलिए मैंने शस्त्र लाइसेंस लिया। यह देर रात को खाली सड़कों पर गाड़ी चलाते वक्त मुझे सुरक्षा की भावना देता है।” राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों से पता चलता है कि सभी महानगरों में से दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित है। विशेषज्ञों ने कहा कि हथियार रखने के साथ ही बड़ी जिम्मेदारी भी आती है, क्योंकि इसके दुरुपयोग के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि शस्त्र कानून बहुत सख्त हैं। एक अधिकारी ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती हथियारों को सुरक्षित रखने और संभालने की है। उन्होंने कहा कि कोई उचित प्रशिक्षण नहीं दिया जाता। ज्यादा लोग यह नहीं जानते कि हथियारों को कैसे संभालें। कई मामले हैं, जिनमें हथियारों को संभालने में लापरवाही से लोग हवाई अड्डों पर परेशानी में फंस चुके हैं।

 

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