भारी बारिश और यमुना नदी (Yamuna River Water Level) के जलस्तर में रिकॉर्ड बढ़त के बाद राजधानी के कई इलाकों में जलजनित बीमारियों की बाढ़ आ गई।

गौरतलब है कि कई इलाकों में अब तक पानी नहीं उतरा है। ऐसे में जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली में इस साल जुलाई के मध्य तक डेंगू के 160 से अधिक मामले सामने आए हैं, जो 2018 के बाद से इस अवधि का सर्वाधिक आंकड़ा है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के पूर्व निदेशक डा. सुजीत कुमार सिंह (Sujeet Kumar Singh) ने कहा कि ऐसे में बेहद सर्तक रहने की जरूरत है।

डा. सिंह ने कहा कि फिलहाल, वायरल हेपेटाइटिस, कालरा, बैक्टीरियल डिसेंट्री सहित तमाम जलजनित बीमारियों की आशंका है। आने वाले समय में डेंगू और चिकनगुनिया पर नजर होनी चाहिए। इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी।

गौरतलब है कि भारी बारिश अथवा बाढ़ के बाद पानी घटता है, लेकिन कहीं न कहीं कुछ गड्ढों ने जमा रह जाता है। यह रुका हुआ पानी डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों के लिए उपयुक्त होता है। एडीज मच्छरों की संख्या वेक्टर डेंसिटी एक लेवल से ज्यादा बढ़ेगी तो इसका कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो सकता है।

हमें तीन स्तर पर तैयारी करनी चाहिए। पहली- व्यक्तिगत, दूसरी-सरकारी स्तर पर लार्वा की ब्रीडिंग पर नजर और अगर मिल रहा है तो सोर्स का ट्रीटमेंट करना चाहिए। तीसरा बीमारी का दायरा बढ़ रहा है, ऐसा महसूस करते ही फॉगिंग जैसे कदम उठाने होते हैं। लंबे समय के लिए लार्वा रोधी उपाय ज्यादा इफेक्टिव होता है। ऐसे में सरकार को पीने के पानी का क्लोरिन मेजर करना चाहिए।

दिल्ली सरकार मच्छर-जनित बीमारियों के प्रसार से निपटने के लिए एक व्यापक कार्रवाई योजना लेकर आई है, इसके तहत शहर में प्रचलित डेंगू वायरस के सीरोटाइप का पता लगाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

इस बीच स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने राष्ट्रीय राजधानी में मच्छर-जनित बीमारियों को नियंत्रण में रखने की तैयारियों पर एक उच्च-स्तरीय बैठक की, जिसमें मच्छर और जलजनित रोगों की रोकथाम प्रबंधन पर जोर दिया गया।

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