दक्षिणी अफ्रीका के बोत्सवाना से दो चरणों में आठ चीते भारत लाए जाएंगे, जिनमें से चार मई तक लाए जाएंगे। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह जानकारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधिकारियों ने दी, जिन्होंने शुक्रवार को भोपाल में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की मौजूदगी में चीता परियोजना की समीक्षा बैठक में हिस्सा लिया।

 बोत्सवाना से आठ चीतों को दो चरणों में भारत लाया जाएगा

दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना से आठ चीतों को दो चरणों में भारत लाया जाएगा। इनमें से चार को तो मई महीने में ही लाया जाएगा। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। इन अधिकारियों ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में चीता परियोजना की समीक्षा बैठक में भाग लिया।

विज्ञप्ति में एनटीसीए के अधिकारियों के हवाले से कहा गया, ‘‘दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और केन्या से अधिक चीतों को भारत लाने के प्रयास जारी हैं। आठ चीतों को दो चरणों में भारत लाया जाएगा। मई 2025 तक बोत्सवाना से चार चीतों को भारत लाने की योजना है। इसके बाद चार और चीतों को लाया जाएगा। वर्तमान में, भारत और केन्या के बीच एक समझौते पर सहमति बनायी जा रही है।’’ 

चीता परियोजना

बैठक में एनटीसीए के अधिकारियों ने बताया कि देश में चीता परियोजना पर अब तक 112 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास में खर्च किया गया है। ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत चीतों को अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चरणबद्ध तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा। गांधी सागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक समझौता किया गया है।

वर्तमान में ‘चीता मित्रों’ की क्षमता बढ़ाने के लिये उन्हें कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य में विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में 26 चीते हैं, जिनमें से 16 खुले जंगल में और 10 पुनर्वास केंद्र (बाड़ों) में हैं। 

‘सैटेलाइट कॉलर आईडी’ का उपयोग करके 24 घंटे निगरानी की जा रही

अधिकारियों ने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए ‘सैटेलाइट कॉलर आईडी’ का उपयोग करके 24 घंटे निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि मादा चीता ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है। इतना ही नहीं, केएनपी में पर्यटकों की संख्या दो साल में दोगुनी हो गई है।

अधिकारियों ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कूनो में चीता सफारी शुरू करने की अनुमति मांगी है। वन क्षेत्रों या ईको सेंसिटिव जोन में सफारी शुरू करने के लिए यह अनुमति जरूरी है। इस याचिका पर फैसला होना बाकी है।’’ अधिकारियों के मुताबिक पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को 17 सितंबर, 2022 को केएनपी में छोड़ा गया था। उनके मुताबिक फरवरी 2023 में, 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में, केएनपी में 26 चीते हैं, जिनमें भारत में जन्मे 14 शावक शामिल हैं।

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