उत्तर प्रदेश के नए कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार ने पदभार संभालते ही कानून का राज स्थापित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद अब पुलिस ने ताबड़तोड़ एक्शन दिखाना शुरू कर दिया है। इसी के तहत मेरठ में 11 दिन पहले दरोगा को गोली मारने वाले बदमाश का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया है। दरअसल, मेरठ के कंकरखेड़ा में 11 दिन पहले चौकी इंचार्ज मुन्नेश सिंह कसाना को गोली मारने वाले दो बदमाशों को शनिवार को कंकरखेड़ा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पिस्टल बरामदगी के दौरान चौकी इंचार्ज को गोली मारने वाले बदमाश विनय वर्मा ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में विनय वर्मा मारा गया। उसके दूसरे साथी माधवपुरम निवासी नरेश को गिरफ्तार कर लिया गया है। तीसरे फरार बदमाश सैनिक विहार निवासी अनुज की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि 23 जनवरी की रात कंकरखेड़ा में विवाह मंडप के बाहर से गाड़ी लूटकर भाग रहे बदमाशों का पुलिस से सामना हो गया था। एक बदमाश के पकड़े जाने पर उसके साथियों ने कंकरखेड़ा की हाईवे चौकी इंचार्ज मुन्नेश सिंह के सीने में गोली मार दी थी। पुलिस बदमाशों की तलाश में जुटी थी। घटना को अंजाम देने में कंकरखेड़ा के जस्सू मोहल्ला निवासी विनय वर्मा, माधवपुरम सेक्टर तीन निवासी निवासी नरेश सागर और सैनिक विहार निवासी अनुज का नाम सामने आया। शनिवार दोपहर को कंकरखेड़ा के खिर्वा से पु़लिस ने विनय वर्मा और नरेश सागर को गिरफ्तार कर लिया।
एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि पुलिस शाम को विनय को लेकर दायमपुर के जंगल में पिस्टल बरामद करने गई थी। विनय वर्मा ने झाड़ी में छिपाई गई पिस्टल उठाकर अचानक से पुलिस पर चार गोलियां चला दीं। एक गोली सिपाही सुमित के कंधे को छूती हुई निकल गई। पुलिस ने जवाबी फायरिंग की। इसमें दो गालियां विनय वर्मा को लगी। पुलिस ने उसे पहले अस्पताल फिर हायर सेंटर में भर्ती कराया। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। हालांकि पुलिस ने दूसरे बदमाश को गिरफ्तार कर लिया है। फरार तीसरे बदमाश को भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बनाए गए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता है। मेरठ जोन में उनकी तैनाती के दौरान सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए थे। साल 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रशांत कुमार करीब तीन साल तक मेरठ जोन में एडीजी जोन के पद पर तैनात रहे। उनकी तैनाती के दौरान ही पश्चिमी यूपी में सबसे अधिक बदमाशों के एनकाउंटर हुए थे।