ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की नियमित पूजा-अर्चना, राग भोग से सम्बंधित एक ही नेचर के 7 मुकदमों को एक साथ सुनने के मामले में आज फैसला आएगा। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में यह सुनवाई होगी। इस मामले में सभी पक्षों की बहस पूरी हो चुकी है।
सिविल कोर्ट में 6 और फास्ट ट्रैक कोर्ट में है एक मुकदमा
बीती 17 अप्रैल को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने मां शृंगार गौरी प्रकरण की वादी सीता साहू, मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक ने वाद दायर किया था कि उनके द्वारा दायर 5 अलग-अलग याचिकाएं, राखी सिंह द्वारा दायर याचिका और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद द्वारा दायर याचिका को एक साथ क्लब कर सुनवाई की जाए क्योंकि सभी का नेचर एक ही है। इसमें से 6 मुकदमा सिविल कोर्ट में और एक फास्ट ट्रैक कोर्ट में लंबित है।
17 अप्रैल को दिया था आदेश
इस याचिका की सुनवाई करते हुए जिला जज ने इस मामले को पोषणीय (सुनने योग्य) बताया था। इसके बाद 22 मई को पहली बार सिविल कोर्ट से 6 और फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से एक मुकदमें की फाइल पहली बार जिला जज की कोर्ट में पहुंची। यहां जिला जज ने याचिकाओं को बारीकी से देखा और इस मामले में फैसले की तारीख 23 मई सुनिश्चित कर दी है।
आज आ सकता है फैसला
इस मामले में जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मंगलवार को सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद जिला जज इस मामले में अहम् फैसला दे सकते हैं। वादी पक्ष इस मामले में अपने पक्ष में फैसला आने के लिए आश्वस्त है। हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी के अनुसार सभी मुकदमों की प्रवित्ति एक ही है तो उन्हें एक ही साथ सूना जाना चाहिए जिससे समय की भी बचत होगी और फैसला भी जल्दी आएगा।
जिन सात मामलों की एक साथ सुनवाई किए जाने का अनुरोध जिला जज की अदालत से श गौरी वाद की महिला वादिनी लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू व मंजू व्यास ने किया है, वो सभी एक ही प्रकृति हैं। पहला मामला अविमुक्तेश्वरानंद, दूसरा मां श्रृंगार गौरी व अन्य,तीसरा आदि विश्वेश्वर व अन्य, चौथा आदि विश्वेश्वर आदि, पांचवां मां गंगा व अन्य, छठा सत्यम त्रिपाठी व अन्य और सातवां नंदी जी महाराज की तरफ से दाखिल वाद हैं। यह सभी वाद एक ही प्रकृति के बताए गए हैं। इनमें आराजी नंबर 9130 के स्वामित्व की मांग और ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी, आदि विश्वेश्वर व अन्य देवी देवताओं के राग भोग, दर्शन पूजन आदि की मांग नाबालिग देवता मानते हुए की गई है।

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