चोरी, हत्या, लूट, छिनैती जैसी वारदातों को अंजाम देने के बाद सलाखों के पीछे पहुंचे लोगों को सुधारने के लिए आजमगढ़ मंडलीय जेल में नई पहल शुरू हुई है। जेल से छूटकर ‘पुरानी दुनिया’ में लौटने से रोकने और स्वरोजगार कर आम लोगों की तरह गुजर-बसर करने के लिए उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मंडलीय कारागार में कुल 1750 बंदी हैं। इनमें सजायाफ्ता के साथ विचाराधीन बंदी भी शामिल हैं। तमाम बंदी ऐसे भी हैं जो गलत शोहबत के कारण अपराध के दलदल में कूदे और सलाखों के पीछे पहुंच गए। ऐसे लोगों को दोबारा अपराध करने से रोकने के लिए शासन ने यह कवायद शुरू की है। उन्हें चार ट्रेड में कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए जेल और कौशल विभाग के बीच एमओयू (मेमोरेंडम व अंडरस्टैंडिंग) साइन हुआ है। कौशल विकास विभाग के अधिकारी तीन ट्रेनरों को हर दिन जेल भेज रहे हैं। ये ट्रेनर प्रतिदिन तीन से चार घंटे तक बंदियों को चार ट्रेड में प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्हें इलेक्ट्रिशियन, फूड प्रोसेसिंग, गार्डनिंग, एग्रीकल्चर व कारपेंटर की ट्रेनिंग दी जा रही है। पहले चरण में कुल 80 बंदियों को प्रशिक्षण के लिए चुना गया है। इसके साथ ही अन्य बंदियों को भी प्रशिक्षण लेने के लिए तैयार किया जा रहा है। जेल प्रशासन प्रशिक्षण के लिए उन बंदियों को प्राथमकिता दे रहा है जो कम से तीन महीने तक जेल में रहेंगे। प्रशिक्षण की अवधि भी तीन महीने रखी गई है।
आजमगढ़ मंडलीय कारागार जेल अधीक्षक विकास कटियार ने बताया कि अपराध करने के बाद सलाखों के पीछे पहुंचे बंदियों को जेल से छूटने के बाद नए सिरे से आम लोगों की तरह जीवन शुरू करने को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्हें दोबारा अपराध से दूर रखने के लिए स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मंडलीय कारागार में निरुद्ध तमाम बंदी ऐसे भी हैं जो पढ़े-लिखे हैं और हालात की मजबूरी के चलते सलाखों के पीछे चले गए। ऐसे बंदियों को जेल से छूटने के बाद नई सिरे से जिंदगी की शुरू करने के लिए जेल प्रशासन तैयार कर रहा है। कौशल विकास विभाग की तरफ से उन्हें कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पहले चरण में 30 बंदियों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जा रही है।
मंडलीय कारागार में निरुद्ध महिला बंदियों को भी कौशल विकास विभाग की तरफ से प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है। उनके लिए अलग से महिला ट्रेनर की व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन तीन से चार घंटे तक उन्हें सिलाई-कढ़ाई के साथ फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस समय करीब 20 महिला बंदी प्रशिक्षण ले रही हैं। वे विभिन्न विधाओं में निपुण बनेंगी।