वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) 18 से 20 सितंबर तक बुलाई जाएगी। इस विधेयक का उद्देश्य 2013 के मौजूदा वक्फ (संशोधन) अधिनियम को संशोधित करना है। मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि विधेयक जल्द ही संसद में पारित किया जाएगा, जिसमें वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, संरक्षण और दुरुपयोग को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

8 अगस्त को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। इसमें वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल सहित कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों के प्रतिनिधित्व के साथ एक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड बनाने का सुझाव दिया गया है।

ज्ञात हो कि 14 सितंबर को कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने एक मुस्लिम संगठन का नेतृत्व करते हुए इस विधेयक का विरोध किया था । उनका दावा था कि यह विधेयक अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण चाहता है। ऑल इंडिया कौमी तंजीम ने लोकसभा सचिवालय के माध्यम से जेपीसी को सुझावों और आपत्तियों के साथ 14 पन्नों का विस्तृत दस्तावेज सौंपा है।

विधेयक का एक विवादास्पद पहलू यह है कि किसी संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया जाए या नहीं, यह तय करने में जिला कलेक्टरों को मुख्य प्राधिकारी बनाने का प्रस्ताव है। इस प्रावधान ने हितधारकों के बीच बहस छेड़ दी है।

11 सितंबर को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों को राज्यसभा की एक समिति ने तलब किया था। उनसे 2013 के वक्फ कानून के तहत अधीनस्थ कानून को अंतिम रूप देने में हो रही देरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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